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अफगानिस्तान पर तालिबान ने किया कब्जा, अफगान सरकार को इस वजह से करना पड़ा समझौता

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अफगानिस्तान (Afghanistan) के कार्यवाहक गृहमंत्री अब्दुल सत्तार मीरजकवाल ने बताया है कि तालिबान इस बात पर राजी हो गया है कि वह काबुल पर हमला नहीं करेगा।

काबुल: अफगानिस्तान (Afghanistan) से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है। रविवार को तालिबानियों के काबुल में दाखिल होते ही अफगानिस्तान सरकार ने उनसे समझौता कर लिया और कहा कि शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता का ट्रांसफर होगा।

अफगानिस्तान (Afghanistan) के कार्यवाहक गृहमंत्री अब्दुल सत्तार मीरजकवाल ने बताया है कि तालिबान इस बात पर राजी हो गया है कि वह काबुल पर हमला नहीं करेगा। वो शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता का ट्रांसफर चाहते हैं और ऐसा ही किया जाएगा। उन्होंने सभी नागरिकों से अपनी सुरक्षा को लेकर निश्चिंत रहने के लिए कहा। इसके बाद तालिबान ने भी बयान जारी करके कहा है कि वो नागरिकों की सुरक्षा की गारंटी लेता है।

बता दें कि तालिबान कुछ देर पहले ही काबुल में दाखिल हो गया था, जिसके बाद उसने काबुल के एयरपोर्ट्स पर कब्जा कर लिया था। तालिबान ने दावा किया था कि पूरी अफगानिस्तान इस्लामी अमीरात के कंट्रोल में है।

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इससे पहले खबर आई थी कि तालिबान ने नंगरहार प्रांत की राजधानी जलालाबाद पर भी कब्जा कर लिया है। ऐसे में अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के पास काबुल को बचाने के सरेंडर करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था। क्योंकि अगर वह सरेंडर नहीं करते तो जंग लड़ना पड़ता, जिसमें हजारों मासूमों की जान जाती।

अफगानिस्तान के बिगड़ रहे हालात का भारत पर भी असर होगा। भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती अफगानिस्तान में रह रहे अपने नागरिकों की सुरक्षा है। इसके अलावा दूसरी चुनौती ये है कि अफगानिस्तान में तालिबान के पास सत्ता पहुंचने से लश्कर और जैश जैसे आतंकी संगठनों को खुली छूट मिल जाएगी और वह भारत को निशाना बनाने की साजिशें रचेंगे। तालिबान के वहां होने से पाकिस्तान की सेना और ISI की भूमिका वहां बढ़ जाएगी।