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तब्लीगी जमात का आतंकी कनेक्शन खंगाल रही सरकार, कई ग्लोबल आतंकवादी जमात के सदस्य

भारत के खिलाफ ही नहीं‚ बल्कि अन्य भारत मित्र देशों के खिलाफ पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) जमात (Tablighi Jamaat) को आतंकी गतिविधियों में उपयोग कर रही है। भारतीय खुफिया एजेंसी भी जमात के इतिहास को देखते हुए ग्लोबल आतंकी लिंक की तलाश में जुट गई है‚ क्योंकि सरकार को सूचना है कि कई बड़ी आतंकी घटनाओं में न केवल यहां आतंकियों (Terrorists) को छुपाया गया‚ बल्कि भारत सहित कई घटनाओं को अंजाम देने का ताना–बाना भी यहीं बुना गया था। आईएसआई (ISI) अब जमात (Tablighi Jamaat) के मुख्यालय को भारत में अपने मिनी ऑपरेशन सेंटर के रूप में तो उपयोग नहीं कर रहा है‚ इसकी भी जांच की जा रही है।

खुफिया सूत्रों के अनुसार हाल ही में कुछ महीने पहले पीओके के टावर संख्या 246 और एलओसी पर रेडियो फ्रीक्वेंसी को डिकोड किए जाने के बाद खुफिया एजेंसी के कान खड़े हो गए हैं।

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यह बात दीगर है कि भारतीय खुफिया एजेंसी की सतर्कता‚ सुरक्षाबलों की सतर्कता और भारत सरकार की कूटनीति के कारण आईएसआई (ISI) भारत के खिलाफ तैयार की जा रही अपनी रणनीति में सफल नहीं हो पाई है।

खुफिया सूत्रों का मानना है कि विश्व पर आई कोरोना (Coronavirus) आपदा को भी आईएसआई (ISI) भारत के खिलाफ अपना हथियार बना रही है। गौरतलब है कि 2011 में विकीलिस द्वारा जारी दस्तावेज में कहा गया था कि अलकायदा ने यात्रा संबंधी दस्तावेज और छिपने का ठिकाना हासिल करने के लिए तब्लीगी जमात (Tablighi Jamaat) के मुख्यालय को इस्तेमाल किया गया था।

खुफिया विभाग ने जांच में यह भी पाया था कि हरकत उल मुजाहिदीन आतंकी संगठन का संस्थापक जमात (Tablighi Jamaat) का सदस्य था। वह 1980 व 1990 के बीच पाकिस्तान खुफिया एजेंसी में भारत के खिलाफ लड़ने के लिए छह हजार से ज्यादा जमातियों को आतंकी प्रशिक्षण दिया था।

इतना ही नहीं लश्कर आतंकी हामीर मोहम्मद ने जमात (Tablighi Jamaat) का सदस्य बनकर पाक का वीजा लिया था। सूत्र बताते हैं कि भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए आईएसआई (ISI) बांग्लादेश‚ मलेशिया‚ इंडोनेशिया समेत कई देशों के युवाओं को अपने संपर्क में लाया था।

इतना ही नहीं भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों व हमलों को अंजाम देने के लिए तालिबानी लड़ाकुओं को भी साधा था। खुफिया सूत्र बताते हैं कि बांग्लादेश और पाक में जमात (Tablighi Jamaat) का बहुत बड़ा नेटवर्क है‚ जो धीरे–धीरे नेपाल और म्यांमार के भारत से सटी सीमाओं पर अपना पैर पसार लिया है‚ ताकि भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों में जमाती आतंकी सदस्यों को छिपाने में मदद मिल सके और आईएसआई (ISI) द्वारा भारत के खिलाफ आतंकी साजिश को अंजाम दिया जा सके।

लॉकडाउन तोड़ने की रणनीति जो आईएसआई (ISI) ने बनाई थी और जिस तरह जमातियों को देश के विभिन्न हिस्सों में मस्जिदों में छिपाया गया‚ उससे खुफिया एजेंसियों के कान खड़े हो गए हैं।

खुफिया एजेंसियों के रड़ार पर दिल्ली–एनसीआर‚ यूपी‚ पश्चिम बंगाल‚ बिहार‚ हरियाणा‚ महाराष्ट्र विशेषकर पुणे और कश्मीर की मस्जिदें आ गई हैं। सूत्रों के अनुसार इस बात की जांच की जा रही है कि जमात के जलसे के नाम पर मस्जिदों में अचानक इतनी धनराशि कैसे पहुंची?

दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित जमात (Tablighi Jamaat)  के मुख्यालय में जांच एजेंसी ने पाया कि यहां भारी–भरकम रकम तो आई‚ मगर बैंक द्वारा नहीं। जांच एजेंसियों को लगता है कि ऐसे ही रकम देश के अन्य हिस्सों में जहां जमातियों को छिपाया जा सके‚ में भी रकम पहुंचाई गई।

लिहाजा जांच एजेंसी के रडार पर दिल्ली‚ पंजाब‚ उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के हवालिये हैं। जांच एजेंसी अब ऐसे हवालियों के फोन को खंगाल रही है और ग्लोबल आतंकी बने जमात के सदस्यों का लिंक भी ढूंढ रही है।

सूत्रों के अनुसार मस्जिदों में जमात के नाम पर आईएसआई (ISI) के इशारे पर आतंकी स्लीपर सेल को ठहरने में मदद की जा रही है। जांच में ऐसा देखा गया है कि तब्लीगी जमात (Tablighi Jamaat) से कोरोना (Coronavirus) का जब से बम फूटा है‚ तब से लश्कर‚ जैश‚ हूजी जैसे आतंकी संगठन के स्लीपर सेल काफी सक्रिय हो गए हैं।

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p style=”text-align: justify;”>आईएसआई (ISI) के इशारे पर जमातियों को मस्जिद में इसलिए छिपाया जा रहा है‚ ताकि सुरक्षाबलों द्वारा अगर उन पर कोई कार्रवाई होती है तो उसको धार्मिक रूप दिया जा सके। इतना ही नहीं अब इन जमातियों के रड़ार पर पत्रकार भी आ गए हैं।