Hindi News (हिंदी समाचार), News in Hindi, Latest News In Hindi

झारखंड में दम तोड़ रहा नक्सलवाद, आंकड़े दे रहे हैं गवाही

पिछले कुछ सालों तक शांत रहने वाले नक्सली संगठनों की गतिविधियां झारखंड में बीते एक महीने से बढ़ गयी हैं।

झारखंड में पिछले कुछ सालों तक एकदम शांत रहने के बाद बीते महीने भर में नक्सली फिर सक्रिय हो गए हैं। उनकी गतिविधियां अचानक से बढ़ गई हैं। नक्सलियों ने पिछले एक महीने में एक के बाद एक कई बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया है। चार साल तक नक्सली संगठनों के शांत रहने के बाद प्रदेश में पिछले एक महीने से नक्सली गतिविधियां बढ़ गईं है। अचानक बढ़ी नक्सली गतिविधियों को लेकर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि जहां तक नक्सली गतिविधियों की बढ़ने की बात है तो इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है नक्सलियों के खिलाफ लगातार चलाए जा रहे अभियान। इम नक्सल विरोधी अभियानों की वजह से नक्सली संगठन बैकफुट पर आ गए हैं। उनके अंदर बौखलाहट साफ दिखाई दे रही है। दूसरे शब्दों में कहें तो नक्सली अस्तित्व के संकट से जूझ रहे हैं। हाल के दिनों में हुई वारदातें उसी बौखलाहट का नतीजा हैं।

अधिकारियों के मुताबिक, पहले की तुलना में नक्सली संगठन काफी कमजोर हो गया है। इससे नक्सली हतोत्साहित हो गए हैं। वे बौखलाहट में आकर ऐसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। झारखंड में नक्सलियों की संख्या 550 से 600 के आस-पास है। जिनमें 250 नक्सलियों पर इनाम घोषित हैं और 150 नक्सलियों पर इनाम घोषित करने की प्रक्रिया चल रही है। पुलिस के वरीय अधिकारियों के अनुसार, नक्सलियों को पहले की तुलना में अब अधिक लेवी भी नहीं मिल रही है। सुरक्षाबलों की मुस्तैदी और प्रशासन की कोशिशों की वजह से लोगों के अंदर से अब नक्सलियों का खौफ भी धीरे-धीरे खत्म हो रहा है। जिसके कारण नक्सलियों में बौखलाहट देखने को मिल रही है।

लेवी नहीं मिलने की वजह से नक्सली जगह-जगह वाहनों में आग लगाकर दहशत फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। साथ ही सरकार द्वारा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कराए जा रहे विकास कार्यों में बाधा डालने की कोशिश कर रहे हैं। आए दिन वे किसी न किसी निर्माणाधीन सड़क, पुल या सरकारी भवन को क्षतिग्रस्त करते रहते हैं। संगठनों में नक्सलियों की अब कोई विचारधारा नहीं रह गई है। जिन नक्सलियों ने सताए हुए लोगों का मसीहा बनकर हथियार उठाया था, उनका मकसद अब गलत ढंग से पैसे कमाना रह गया है। जिसके लिए वे लोगों को डरा-धमका कर लेवी वसूलते हैं। लेवी के पैसे से नक्सली केवल अपनी संपत्ति बढ़ाने की कोशिश में जुटे हैं।

पढ़ें: 200 से ज्यादा नक्सलियों पर 1 लाख से लेकर 1 करोड़ तक के इनाम घोषित, देखें पूरी लिस्ट

साथ ही इन पैसों से फिर से संगठन खड़ा करने का भी उनका मकसद है। एक ओर पुलिस नक्सलियों के खिलाफ अभियान तेज करने और उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर करने की कवायद कर रही है। दूसरी ओर नक्सली भी अब टूट चुके संगठन को फिर से संगठित करने के लिए लगातार वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। पिछले एक महीने में ही सरायकेला में नक्सलियों ने चार घटनाओं का अंजाम दिया है। जिनमें एक सप्ताह में अंदर दो बार आईईडी ब्लास्ट की घटनाए हुईं। इन घटनाओं में 30 से अधिक जवान घायल हुए थे और पांच पुलिसकर्मियों की मौत हो गयी थी। वहीं दुमका में पुलिस और नक्सलियों के बीच हुए मुठभेड़ में एक जवान की मौत हो गई थी।

इसके अलावा नक्सलियों के द्वारा लेवी वसूलने के लिए वाहनों में आगजनी करने की कई घटनाओं को भी अंजाम दिया गया। झारखंड में जनवरी से लेकर जून तक पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ की 22 घटनाएं हुईं। जिनमें 19 नक्सली मारे गए। पिछले 6 महीनों में झारखंड पुलिस ने जहां 148 नक्सलियों को गिरफ्तार किया, वहीं संगठन में हो रहे शोषण और प्रताड़ना से तंग आकर 11 नक्सलियों ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया। सरेंडर करने वाले नक्सलियों में कई हार्डकोर नक्सली भी शामिल हैं। कुल मिलाकर नक्सलियों की शाख अब कमजोर हो चुकी है। उनकी हालत अब ‘खिसियानी बिल्ली, खंभा नोंचे’ वाली हो गई है।

पढ़ें: कैसे बनते हैं ब्लैक कैट कमांडो? पढ़िए ट्रेनिंग से लेकर फौलाद बनने की पूरी कहानी