एफएटीएफ (FATF) ने यह भी कहा कि पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधित आतंकवादियों के खिलाफ भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है।
वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) की ओर से पाकिस्तान को राहत नहीं मिली है। पाकिस्तान (Pakistan) अगले साल फरवरी तक FATF की ‘ग्रे’ सूची में बना रहेगा। एफएटीएफ ने 23 अक्टूबर को इसकी घोषणा की। एफएटीएफ ने पाकिस्तान को आतंकवाद के वित्तपोषण को पूरी तरह रोकने के लिए कुल 27 कार्ययोजनाएं पूरी करने की जिम्मेदारी दी थी, जिनमें से उसने अभी 21 को पूरा किया है।
छह महत्वपूर्ण बिंदु पर वह काम पूरे नहीं कर सका है। इनमें संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकियो मसूद अजहर आदि पर कार्रवाई भी शामिल है। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी सहित कई देश पाकिस्तान की आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हैं।
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23 अक्टूबर की शाम को जारी किए गए बयान में एफएटीफ ने बताया कि पाकिस्तान की सरकार आतंकवाद के खिलाफ 27 सूत्रीय एजेंडे को पूरा करने में विफल रही है। एफएटीएफ (FATF) ने यह भी कहा कि पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधित आतंकवादियों के खिलाफ भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है।
उसे आतंक पर कार्रवाई के लिए जरूरी मानकों पर खरा उतरने के लिए फरवरी 2021 तक का समय दिया गया है। बता दें कि आतंकवाद के वित्तपोषण और धन शोधन को रोकने एवं निगरानी करने वाली पेरिस से संचालित संस्था FATF की 21 से 23 अक्टूबर के बीच डिजिटल माध्यम से वार्षिक बैठक हुई जिसमें 27 बिंदुओं की कार्य योजना की समीक्षा की गई थी।
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पाकिस्तान के एफएटीएफ की (FATF) ग्रे लिस्ट में बने रहने से उसकी आर्थिक स्थिति पर प्रतिकूल असर पड़ना तय है। पाकिस्तान को अंतरराष्ट्री मुद्राकोष (आईएमएफ), विश्व बैंक और यूरोपीय संघ से आर्थिक मदद मिलना भी मुश्किल हो जाएगा। दूसरे देशों से भी पाकिस्तान को आर्थिक मदद मिलना बंद हो सकता है। क्योंकि कोई भी देश आर्थिक रूप से अस्थिर देश में निवेश करना नहीं चाहता है।
गौरतलब है कि पाकिस्तान ने एफएटीएफ की ग्रे सूची से निकलने की कोशिश के तहत करीब 15 कानूनों में संशोधन को मंजूरी लेनी थी। पाकिस्तान को ग्रे सूची से बाहर निकलने के लिए 39 सदस्यीय एफएटीएफ (FATF) में से 12 सदस्यों का समर्थन हासिल करना था। वहीं, काली सूची में जाने से बचने के लिए तीन सदस्यों के समर्थन की जरूरत थी।
पाकिस्तान का चीन, तुर्की और मलेशिया लगातार समर्थन करते रहे हैं। ऐसा माना जा रहा था कि एफएटीएफ की बैठक में अगर यह पाया जाता है कि पाकिस्तान लक्ष्यों को पूरा करने में असफल हुआ है तो पूरी संभावना है कि विश्व निकाय उसे उत्तर कोरिया और ईरान के साथ काली सूची में डाल दें। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और उसे फरवरी 2021 तक ग्रे लिस्ट में रखा गया है।
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बता दें कि एफएटीएफ (FATF) ने पाकिस्तान को जून 2018 में ‘ग्रे’ सूची में डाला था और इस्लामाबाद को धन शोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने की 27 बिंदुओं की कार्य योजना को साल 2019 के अंत तक लागू करने को कहा था। कोविड महामारी की वजह से इसकी समय-सीमा में बढ़ा दी गई थी।