नक्सलवाद (Naxalism) के खिलाफ चल रहे अभियान से गृहमंत्री बहुत खुश नजर नहीं आ रहे हैं। दरअसल, नक्सलवाद की समस्या से निपटने के लिए बीते महीने एक मीटिंग की गई थी।
नक्सलवाद (Naxalism) की समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार पूरी तरह कमर कस चुकी है। इस समस्या को लेकर गृहमंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) के तेवर काफी कड़े हैं। नक्सलवाद के खिलाफ चल रहे अभियान से गृहमंत्री बहुत खुश नजर नहीं आ रहे हैं। दरअसल, नक्सलवाद की समस्या से निपटने के लिए बीते महीने एक मीटिंग की गई थी।
इस मीटिंग का मुख्य उद्देश्य यह पता लगाना था कि कहां, कब और क्यों परेशानी आ रही है। गृह मंत्री की समीक्षा मीटिंग में सेंट्रल पैरा मिलिट्री बल, सेंट्रल आईबी और पांच राज्यों के सरकारी अधिकारी शामिल हुए थे। इसमें गृहमंत्री ने राज्य और केंद्र की पुलिस के बीच बेहतर तालमेल बनाने के लिए कहा है।
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पिछले महीने हुई इस मीटिंग में अधिकारियों से उन बलों की जानकारी भी मांगी है, जो नक्सलवादियों के ठिकानों को खत्म नहीं कर पा रहे हैं। जानकारी के मुताबिक, बिहार, झारखंड और महाराष्ट्र में अगली गर्मियों तक नक्सलियों (Naxals) के बड़े ठिकानों को खत्म करने का लक्ष्य दिया गया है।
बता दें कि अमित शाह की समीक्षा मीटिंग के तुरंत बाद सीपीआई माओवादी के साउथ सब जोनल ब्यूरो ने 2 नवंबर को एक बयान जारी किया था। इस बयान में दावा किया गया था कि छत्तीसगढ़ में नवंबर, 2020 से जून, 2021 के बीच प्रहार-3 (Prahar-3) नाम से एक ऑपरेशन की योजना बनाई जा ही है।
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हालांकि, सलाहकार के विजय कुमार ने ऑपरेशन या इसका समय बताने से मना कर दिया है। के विजय कुमार के अनुसार, “गृहमंत्री ने राज्य और केंद्र के बलों को आपस में बेहतर तरीके से काम करने के लिए कहा है। गृहमंत्री ने ऐसे राज्यों की मदद करने के लिए समीक्षा की है, जो बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं।”
उन्होंने बताया, “कौन से राज्य पर्याप्त काम नहीं कर रहे हैं, राज्यों की आगे कैसे मदद की जा सकती है। इस तरह के मुद्दों पर चर्चा हुई।” अधिकारियों के अनुसार, सबसे ज्यादा नक्सलवाद (Naxalism) से ग्रस्त राज्यों की सूची में अभी भी छत्तीसगढ़ का नाम सबसे पहले है।
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दिल्ली में हुई इस मीटिंग के तुरंत बाद ही विजय कुमार बस्तर के हालात की समीक्षा के लिए राज्य और केंद्र के पुलिस अधिकारियों से मिलने सुकमा के लिए निकल गए थे। उन्होंने बताया, “छत्तीसगढ़ में नक्सल जन सेना में स्थानीय लोगों को शामिल करने की कोशिश कर रहे है। इंटेलिजेंस ने कुछ रणनीतियां बताई हैं।”