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इस्लामाबाद में कुलभूषण जाधव से मिले डिप्टी हाई कमिश्नर, 3 साल बाद मिली कॉन्सुलर एक्सेस

कुलभूषण जाधव से मिले डिप्टी हाई कमिश्नर। सांकेतिक तस्वीर।

पाकिस्तान की जेल में बंद पूर्व भारतीय नौसेना अधिकारी कुलभूषण जाधव से भारत के डिप्टी हाई कमिश्नर गौरव अहलूवालिया ने 2 सितंबर को मुलाकात की। कूलभूषण जाधव को पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है। पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव को कॉन्‍सुलर एक्सेस दिया है, जिसे भारत ने स्वीकार कर लिया। पाकिस्तान में अहलूवालिया, कुलभूषण जाधव से मिलने के लिए पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय पहुंचे। जानकारी के अनुसार, जाधव से उन्होंने लगभग दो घंटे तक बातचीत की। अहलूवालिया और विदेश कार्यालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल के साथ उनकी बैठक हुई।

बता दें, 2017 में पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत द्वारा फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद यह पहली बार है जब कुलभूषण जाधव को कॉन्‍सुलर एक्सेस दिया जा रहा है। बता दें कि इससे पहले, पिछले महीने 1 अगस्त को भी पाकिस्तान ने इस तरह का प्रस्ताव दिया था, जिसे भारत ने ठुकरा दिया था। दरअसल, भारत बगैर किसी शर्त राजनयिक पहुंच की मांग कर रहा था। पाकिस्तान ने इस दौरान जाधव को दो भारतीय राजनयिकों से मिलने की इजाजत तो दी थी, साथ में यह शर्त रखी थी कि उसके साथ एक पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी भी होगा। इस पर भारत ने ऐतराज जताया था और कहा था कि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के फैसले के अनुरूप राजनयिक पहुंच मिलनी चाहिए।

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गौरतलब है कि पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैजल ने ट्वीट करके जानकारी दी कि कुलभूषण को विएना समझौते, अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) के फैसले और पाकिस्तानी कानून के मुताबिक 2 सितंबर, 2019 को राजनयिक पहुंच दी जाएगी। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने कहा कि जाधव को ‘राजनयिक संबंधों पर विएना कन्वेंशन, अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (ICJ) के फैसले और पाकिस्तान के कानूनों के अनुरूप’ राजनयिक पहुंच उपलब्ध कराई जा रही है। यह ऐसे समय पर हुआ है जब जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 (Article) को हटाए जाने के बाद दोनों देशों के बीच हालात तनावपूर्ण हैं।

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भारतीय नागरिक जाधव पाकिस्तान की जेल में बंद हैं जहां उन्हें पड़ोसी देश ने 2017 में मौत की सजा सुनाई थी। भारत पिछले तीन वर्षों से कुलभूषण जाधव के लिये राजनयिक पहुंच सुलभ कराने की मांग कर रहा था। उल्लेखनीय है कि जाधव को पाकिस्तानी सैन्य अदालत ने 11 अप्रैल, 2017 को मौत की सजा सुनाई थी। इसके बाद भारत इस मामले को लेकर 8 मई, 2017 को हेग स्थित इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आइसीजे) पहुंचा। भारत ने कहा कि पाकिस्तान ने इस मामले में विएना संधि का उल्लंघन किया है। आइसीजे में यह मामला तकरीबन दो वर्ष दो महीने तक चला।

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इसके बाद इस साल 18 जुलाई को कोर्ट के 16 सदस्यीय न्यायाधीशों की पीठ में 15-1 के बहुमत से यह फैसला सुनाया था। कोर्ट ने साफ तौर पर कहा है कि दूसरे देश के अधिकारी या सैन्यकर्मी को पकड़े जाने पर लागू विएना समझौते के मुताबिक, पाकिस्तान सरकार ने कदम नहीं उठाए हैं। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने भारत के पक्ष में फैसला सुनाया था। भारत ने आइसीजे के फैसले के तुरंत बाद ही पाकिस्तान से आग्रह किया था कि उस फैसले के सही संदर्भ में हर कदम उठाया जाना चाहिए। इसमें जाधव को राजनयिकों से मुलाकात का मुद्दा सबसे अहम है क्योंकि इसी से आगे जाधव के खिलाफ पाकिस्तान में चलाए जा रहे कानूनी प्रक्रिया को लेकर भारतीय पक्षकार रणनीति बना सकेंगे।

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