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पाक की बड़ी साजिश का खुलासा: हर मुठभेड़ में 10 लोगों की हत्या की बनाई योजना, ISI ने अपने आतंकियों को दिया ये फरमान

आर्थिक तंगहाली का शिकार पाकिस्तान में भूखमरी जैसे हालात पैदा हो गये हैं, लेकिन पाकिस्तानी हुक्मरान भारत से पंगा लेने के लिए लगातार अपनी नापाक हरकतों को अंजाम देन रहे हैं। पाक की खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) अभी भी कश्मीर में खून-खराबे से दहशत‚ आतंकवाद फैलाने का प्रयास कर रही है। भारतीय खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू कश्मीर में दहशत फैलाने के लिए आईएसआई ने अपने पालतू आतंकवादियों और ओवर ग्राउंड वर्कर (OGW) को मुठभेड़ में कम से कम 10 आम नागरिकों (Civilian Killings) की जान लेने का फरमान जारी किया है।

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भारतीय सुरक्षाबलों से हर मोर्चे पर लगातार मुंह की खाने के बाद भी आईएसआई घाटी में आतंकवाद फैलाने से बाज नहीं आ रहा है। पाक सरकार के पास देश चलाने को पैसा नहीं है, लेकिन वह इन कर्जों को चुकाने के लिए कर्ज ले रहा है और उस कर्ज को आतंकवाद के प्रचार-प्रसार में खर्च कर रहा है। देश की खस्ता हालात के बावजूद पाक की खुफिया एजेंसी आईएसआई भारत के खिलाफ एक के बाद एक नई-नई साजिशों को बुनने में लगी है। भारतीय खुफिया एजेंसी ने आईएसआई की ऐसी ही एक साजिश का खुलासा किया है।

खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू कश्मीर से धारा 370 के हटने की वजह से घाटी में अमन-चैन है। लेकिन आईएसआई ये सब बर्दाश्त नहीं कर रही, लिहाजा पाकिस्तान के आतंकी गुर्गे अब आम नागरिकों को निशाना बनाने का प्रयास कर रहे हैं। सरहद पार बैठे आतंकी आकाओं ने घाटी के अपने ओजीडब्ल्यू को एक फरमान जारी किया है, जिसमें काम के बदले मोटे दाम देने की बात कही है।

खुफिया सूत्रों के अनुसार आईएसआई ने हर ओजीडब्ल्यू को भेजे अपने फरमान में कहा है कि सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ के दौरान कम से कम 10 आम नागरिकों की मौत (Civilian Killings) होनी चाहिए। जिसका सीधा अर्थ है कि पाकिस्तान कश्मीर में अशांति फैलाने और मानवाधिकार की दुहाई देने के लिए आतंकी मुठभेड़ों में आम स्थानीय नागरिकों की हत्या करना चाहता है। इस योजना के क्रियान्वयन के लिए आईएसआई ने बाकायदा एक ब्लूप्रिंट तैयार किया है, जिसके तहत आईएसआई का मकसद कश्मीर में एक बार फिर आतंक के जरिये दहशत फैलाना है।

गौरतलब है कि साल 2018 में आतंकी मुठभेड़ के दौरान क्रॉस फायरिंग में आम नागरिक (Civilian Killings) भी मारे गए थे। मुठभेड़ के दौरान बचने के लिए आतंकी स्थानीय लोगों के घरों में घुस जाते थे। इसी कारण से करीब 24 नागरिकों की मौत और 49 लोग घायल हो गये थे। ये उस वक्त की बात है‚ जब ऑपरेशन ऑलआउट अपने चरम पर था। हालांकि पिछले दो–तीन सालों में ये आंकड़ा कम हुआ है।  साल 2021 में मुठभेड़ के दौरान क्रॉस फायरिंग में सिर्फ 2 आम नागरिकों की मौत हुई है‚ जबकि दो को मामूली चोटें आई हैं। इसके अलावा जहां 2018 में करीब 318 आतंकी घटनाएं हुई थीं‚ वहीं 2021 में महज 121 घटनाएं हुई हैं, यानी पहले के मुकाबले आधी से भी कम।

बताते चलें कि पाकिस्तान के आतंकी संगठनों को घाटी में सपोर्ट देने वाले स्थानीय लोग ओवर ग्राउंड वर्कर (ओजीडब्ल्यू) कहलाते हैं। ये ओजीडब्ल्यू जम्मू कश्मीर में आतंकियों को मानवीय सहायता‚ रेकी‚ मुखिबरी‚ नकद‚ आवास और अन्य सुविधाएं प्रदान करते हैं। यानी आतंकियों को सुरक्षित मार्ग‚ घर या किसी तरह की सूचना प्रदान करता है।