भारतीय सेना (Indian Army) की फायर एंड फ्यूरी कोर ने 2 सितंबर को पूर्वी लद्दाख में अपने ‘स्नो लेपर्ड ब्रिगेड’ का एक एकीकृत युद्धाभ्यास और लाइव-फायर अभ्यास किया।
लद्दाख (Ladakh) में चीन (China) के साथ जारी तनाव के बीच भारतीय सेना (Indian Army) की फायर एंड फ्यूरी कोर ने 2 सितंबर को पूर्वी लद्दाख में अपने ‘स्नो लेपर्ड ब्रिगेड’ का एक एकीकृत युद्धाभ्यास और लाइव-फायर अभ्यास किया।
एकीकृत युद्धाभ्यास और लाइव-फायर अभ्यास 15,000 फीट से अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्र (SHAA) में आयोजित किया गया था। इस ब्रिगेड की टुकड़ियां ऊंचाई वाले पर्वतीय युद्ध में माहिर हैं।
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यह अभ्यास ब्रिगेड की ऑपरेशनल तैयारियों की रिव्यू के लिए किया गया था। इस प्रैक्टिस का रिव्यू लेह-मुख्यालय XIV कोर या फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन (Lt General PGK Menon) ने किया।
अभ्यास के दौरान भारतीय सेना के जवानों ने टैंकों ने पूर्वी लद्दाख में 2 सितंबर को दिनभर चले अभ्यास में सेना की स्नो लेपर्ड ब्रिगेड के टैंकों ने लक्ष्य पर सटीक गोले दागकर युद्ध लड़ने की अपनी तैयारी का परिचय दिया। सेना के टी-90 भीष्म और टी-72 अजय जैसे टैंकों ने युद्ध अभ्यास के दौरान अपनी मारक क्षमता दिखाई।
बता दें कि स्नो लेपर्ड ब्रिगेड ने ऊंचाई वाले स्थानों पर हर बार अपनी काबिलियत साबित की है। पिछले साल अगस्त में हमारे सैनिकों ने चीनी चौकियों पर कड़ी निगरानी रखने के लिए पैंगोंग त्सो के दक्षिणी तट में कई ऊंचाइयों पर चीनियों को पछाड़ दिया था।
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ऊंचाइयों पर लड़ाई में माहिर होने की वजह से ही भारतीय सेना (Indian Army) हमेशा सीमा पर मजबूत स्थिति में रही है। इन ऊंचाइयों की विशेषताओं ने भारत को न केवल सामरिक बल्कि जमीन पर और दोनों पक्षों के बीच बातचीत में एक रणनीतिक लाभ दिया है। भारतीय सेना के विशेष बल अब कई बिंदुओं पर तमाम विशेषताओं और फ्लैंक की वजह से हर स्थिति को नियंत्रित कर सकती है।