FATF का एशिया प्रशांत समूह अगले हफ्ते पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद के खिलाफ उठाए गए कदमों की समीक्षा करेगी। एफएटीएफ आतंक के वित्तपोषण और धन शोधन की वैश्विक निगरानी संस्था है। एक मीडिया रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। समा टीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल वित्तीय कार्रवाई कार्यबल के अधिकारियों से मिलने के लिए 7 सिंतबर को बैंकॉक रवाना होगा। उनकी बैठक 8 से 10 सितंबर तक होगी। बैठक के दौरान पाकिस्तान एफएटीएफ को बताएगा कि उसने प्रतिबंधित संगठनों की गतिविधियों पर काबू पाने और उनकी संपत्ति को जब्त करने के लिए कौन-कौन से कदम उठाए हैं।
पाकिस्तान ने ऑस्ट्रेलिया की राजधानी कैनबरा में 18 अगस्त से 23 अगस्त के बीच एक बैठक के दौरान वित्तीय कार्रवाई कार्यबल को एक अनुपालन रिपोर्ट सौंपी थी। इस रिपोर्ट में उसने आतंक पर काबू पाने के लिए अपनी 27 सूत्री कार्ययोजना के बारे में बताया था। रिपोर्ट में बैंकिंग और गैर-बैंकिंग क्षेत्राधिकार, पूंजी बाजार, ज्वैलर्स और इसी तरह की संबंधित सेवाओं के माध्यम से प्रतिबंधित संगठनों और गैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा धन शोधन और आतंक के वित्तपोषण के खिलाफ सुरक्षा उपायों को शामिल किया गया है। इस रिपोर्ट के मूल्यांकन के आधार पर यह तय होगा कि एफएटीएफ पाकिस्तान को निगरानी सूची से काली सूची में डालता है या नहीं। इस रिपोर्ट के अलावा पाकिस्तान को एफएटीएफ द्वारा पूछे गए 100 अतिरिक्त सवालों के जवाब भी देने होंगे।
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फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) एक अंतर-सरकारी निकाय है जिसे फ्रांस की राजधानी पेरिस में जी7 समूह के देशों द्वारा 1989 में स्थापित किया गया था। इसका काम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग), सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार और आतंकवाद के वित्तपोषण पर निगाह रखना है। इसके अलावा एफएटीएफ वित्त विषय पर कानूनी, विनियामक और परिचालन उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन को बढ़ावा भी देता है। एफएटीएफ का निर्णय लेने वाला निकाय को एफएटीएफ प्लेनरी कहा जाता है। इसकी बैठक एक साल में तीन बार आयोजित की जाती है। भारत, 2010 में एफएटीएफ का सदस्य बन गया था।
वर्तमान में एफएटीएफ के कुल 39 सदस्य हैं। जिसमें 37 सदस्य देश और 2 क्षेत्रीय संगठन शामिल हैं, जो दुनिया के लगभग सभी हिस्सों में सबसे प्रमुख वित्तीय केंद्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं। बड़ी बात यह है कि पाकिस्तान इस संगठन का सद्स्य नहीं है। पाकिस्तान को जून 2018 में ग्रे सूची में डाला था। अक्टूबर 2018 और फरवरी 2019 में हुए रिव्यू में भी पाक को राहत नहीं मिली थी। पाक एफएटीएफ की सिफारिशों पर काम करने में विफल रहा। एफएटीएफ ने पाया कि पाकिस्तान ने धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) और आतंकवाद के वित्त पोषण संबंधी 40 अनुपालन मानकों में से 32 का पालन नहीं किया।
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