भारतीय सेना के तोपखाने को 400 से ज्यादा आर्टिलरी गन की जरूरत है। सेना की इस जरूरत को पूरा करने के लिए DRDO 18 महीनों में 200 से अधिक मेड इन इंडिया एडवांस टावर आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) होवित्जर तैयार कर सकता है।
नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच तनाव जारी है। इस बीच भारतीय सेना को अपनी ताकत बढ़ाने की जरूरत है क्योंकि चीनी सेना लगातार अपनी ताकत में इजाफा कर रही है। ऐसे में खबर सामने आई है कि भारतीय सेना के तोपखाने को 400 से ज्यादा आर्टिलरी गन की जरूरत है। सेना की इस जरूरत को पूरा करने के लिए DRDO 18 महीनों में 200 से अधिक मेड इन इंडिया एडवांस टावर आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) होवित्जर तैयार कर सकता है।
इस काम का ट्रायल भी शुरू हो चुका है। बता दें कि ATAGS की रेंज 48 किलोमीटर है, जोकि बिल्कुल सटीक तरीके से अपने लक्ष्य को भेद सकती है।
इसकी ताकत की बात की जाए तो ये खुद ही 25 किमी प्रति घंटा मूव कर सकती है। कहा जा रहा है कि चीन को उसकी औकात याद दिलाने के लिए ये तोपें काफी कारगर हैं। इसलिए अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख के ऊंचे क्षेत्रों में इनकी तैनाती की जा सकती है।
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इस तोप से जब गोला दागा जाता है तो आस-पास ऐसा महसूस होता है कि जैसे भूकंप आ गया हो। इसकी गर्जना ही दुश्मनों के छक्के छुड़ाने के लिए काफी है।
खबर है कि भारतीय सेना के लिए डीआरडीओ मेड इन इंडिया ATAGS होवित्जर प्रोजेक्ट को जल्द से जल्द पूरा कर सकता है। खबर ये भी है कि DRDO 18 से 24 महीनों के बीच 200 तोपें दे सकता है।
बता दें कि 1980 के बाद से भारतीय सेना की आर्टिलरी में कोई नई तोप शामिल नहीं हुई है। ऐसे में ये तोप भारतीय सेना का मनोबल बढ़ाएंगी।