रक्षा के क्षेत्र में देश लगातार नई-नई ऊंचाइयों को छू रहा है। इसी कड़ी में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) एक नई और उच्च तकनीकि की मिसाइल विकसित कर रहा है। इस मिसाइल का नाम ‘प्रनाश’ (Pranash) है। इस मिसाइल से सेना के साथ ही वायुसेना (Indian air Force) ताकत में भी इजाफा होगा। इस मिसाइल से 200 किलोमीटर दूर तक निशाना साधा जा सकेगा।
रक्षा के क्षेत्र में देश लगातार नई-नई ऊंचाइयों को छू रहा है। इसी कड़ी में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) एक नई और उच्च तकनीकि की मिसाइल विकसित कर रहा है। इस मिसाइल का नाम ‘प्रनाश’ (Pranash) है। इस मिसाइल से सेना के साथ ही वायुसेना (Indian air Force) ताकत में भी इजाफा होगा। इस मिसाइल से 200 किलोमीटर दूर तक निशाना साधा जा सकेगा। यह सतह से सतह तक मार करने में सक्षम कम दूरी की सामरिक बैलिस्टिक मिसाइल है।
‘प्रहार’ का अपडेटेड वर्जन है ‘प्रनाश’
रक्षा अधिकारियों के मुताबिक, ‘रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) 200 किलोमीटर तक मार करने वाली प्रनाश मिसाइल को विकसित कर रहा है। यह मिसाइल पारंपरिक वारहेड से लैस होगी।’ अधिकारियों के मुताबिक ‘प्रनाश’ (Pranash) मिसाइल 150 किलोमीटर तक मारक क्षमता वाली ‘प्रहार’ की उन्नत संस्करण है। प्रहार मिसाइल भी ठोस इंधन की सतह से सतह तक मार करने में सक्षम कम दूरी की सामरिक बैलिस्टिक मिसाइल है। डीआरडीओ (DRDO) ने ही इसे भी विकसित किया है।
एक-दो साल के भीतर कर लिया जाएगा परीक्षण
सतह से सतह तक मार करने में सक्षम ‘प्रनाश’ (Pranash) भी एकल चरण ठोस ईंधन की बैलिस्टिक मिसाइल है। सेना और वायु सेना द्वारा इसका इस्तेमाल किया जाएगा। प्रनाश मिसाइल का प्रयोग किसी भी सामरिक और रणनीतिक लक्ष्यों को भेदने के लिए किया जा सकेगा। अधिकारियों ने उम्मीद जताई कि एक-दो साल के भीतर इसका परीक्षण कर लिया जाएगा। नई मिसाइल से भारत की सामरिक क्षमता को मजबूत होगी ही। वह अपने मित्र राष्ट्रों को इसका निर्यात भी कर सकेगा, क्योंकि इसकी मारक क्षमता मिसाइल की बिक्री के लिए तय अंतरराष्ट्रीय मानकों के भीतर ही है।
इससे पहले के-4 बैलिस्टिक मिसाइल का हुआ था सफल परीक्षण
इससे पहले पिछले 20 जनवरी को भारत ने अपनी शक्तिशाली के-4 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया था। आंध्र प्रदेश के समुद्री तट से दागी गई इस मिसाइल की रेंज 3,500 किलोमीटर है और यह पनडुब्बी से दुश्मन के ठिकानों को निशाना बनाने में सक्षम है। मिसाइल का परीक्षण दिन के समय समुद्र में पानी के भीतर बने प्लेटफॉर्म से किया गया। इसका विकास रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने ही किया। इसे अरिहंत श्रेणी की परमाणु क्षमता से संपन्न पनडुब्बियों में तैनात किया जाना है। परमाणु क्षमता से संपन्न पनडुब्बियों पर तैनाती से पहले इस मिसाइल के अभी और परीक्षण होंगे।
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