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‘चाइना स्टडी ग्रुप’ ने लिया LAC पर सैन्य तैयारियों का जायजा, इन बिंदुओं पर हुई चर्चा

फाइल फोटो।

चाइना स्टडी ग्रुप (China Study Group) की इस बैठक में तय हुआ कि भारत वार्ता में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों सेनाओं के अप्रैल की स्थिति में लौटने पर जोर देगा।

सरकार ने पूर्वी लद्दाख में भारत की अभियानगत तैयारियों (Operational Preparation) सहित क्षेत्र में संपूर्ण स्थिति की व्यापक समीक्षा की। सरकारी सूत्रों ने बताया कि चीनी सेना के लगातार आक्रामक रुख अपनाए रखने और क्षेत्र में भारतीय सैनिकों को फिर से डराने की कोशिश किए जाने के मद्देनजर यह बैठक की गई।

सूत्रों के मुताबिक, उच्चाधिकार प्राप्त ‘चाइना स्टडी ग्रुप’ (China Study Group) की करीब 90 मिनट चली बैठक में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह (Defense Minister Rajnath Singh), राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल (NSA Ajit Doval), चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत (CDS General Bipin Rawat) और तीनों सेनाओं के प्रमुख शामिल हुए।

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सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे (General MM Narvane) ने पूर्वी लद्दाख के हालात की जानकारी दी। चाइना स्टडी ग्रुप (China Study Group) की बैठक में 3,500 किमी लंबी एलएसी पर निगरानी बढ़ाने को लेकर सहमति बनी, खासतौर पर अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) और सिक्किम सेक्टर (Sikkim Sector) में।

लद्दाख जोन यानि पश्चिमी जोन में पहले से ही चीन का मुकाबला भारतीय सुरक्षा बलों की मिरर डिप्लॉयमेंट है। इस बैठक में सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने पैंगोंग लेक (Pangong Lake) के उत्तरी और दक्षिणी बैंक पर हाल ही में चीन-भारतीय सेना के आमने सामने होने के हालात की भी जानकारी दी।

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उन्होंने चीनी सेना के आगे बढ़ने की कोशिशों को नाकाम करने के लिए उठाए गए कदमों की भी जानकारी दी। सूत्रों के मुताबिक चाइना स्टडी ग्रुप की बैठक में मौजूदा हालात की समीक्षा की गई। करीब 90 मिनट चली चाइना स्टडी ग्रुप (China Study Group) की इस बैठक में तय हुआ कि भारत वार्ता में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों सेनाओं के अप्रैल की स्थिति में लौटने पर जोर देगा।

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उन्होंने बताया कि बैठक में पूर्वी लद्दाख और अत्यधिक ऊंचाई वाले अन्य संवेदनशील सेक्टरों में सर्दियों में भी सभी अग्रिम इलाकों में बलों और हथियारों का मौजूदा स्तर बनाए रखने के लिए आवश्यक प्रबंधों पर भी विचार-विमर्श किया गया। इन इलाकों में सर्दियों में तापमान शून्य से भी 25 डिग्री सेल्सियस नीचे चला जाता हैं। ऐसे में सेना की सप्लाई निर्बाध बनी रहे, इसपर भी चर्चा की गई।