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रमन्ना समेत इन आधा दर्जन नक्सलियों की मौत ने तोड़ी संगठन की कमर, पढ़ें विस्तार से

सांकेतिक तस्वीर।

घोर नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) जिले में नक्सलियों (Naxalites) की कमर टूट चुकी है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि पिछले कुछ सालों में आधा दर्जन से ज्यादा बड़े नक्सलियों (Naxals) की मौत हो चुकी है। बड़े नक्सलियों की मौत की वजह से संगठन पूरी तरह बिखर चुका है। करीब साढ़े तीन दशक तक संगठन की कमान संभालने वाले रावुलु श्रनिवास उर्फ रमन्ना की मौत ने नक्सलियों को सबसे बड़ा झटका दिया है।

28 जुलाई से नक्सली शहीदी सप्ताह मना रहे हैं। इस दौरान नक्सलियों (Naxalites) ने जो पर्चा जारी किया है उसमें रमन्ना के अलावा 8 और बड़े नेताओं की मौत का जिक्र किया गया है। रमन्ना दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का सचिव तथा सेंट्रल कमेटी का सदस्य था। रमन्ना के बारे में बताया जाता है कि उसने नक्सली संगठन को बढ़ाने में अहम योगदान दिया था और पुलिस-प्रशासन की हिटलिस्ट में उसका नंबर सबसे ऊपर था। पिछले साल 7 सितंबर को रमन्ना की मौत गंभीर बीमार के चलते हुई थी।

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रमन्ना के बाद जिस नक्सली नेता (Naxali Leader) की मौत को नक्सलियों ने बड़ी क्षति माना है उसका नाम है सुदीप चोंगदार। सुदीप पश्चिम बंगाल के जंगल महल इलाके में हुए आंदोलन का लीडर था। 2010 से वह कोलकाता जेल में बंद था। पश्चिम घाट के मणिवासगम शिक्षक की नौकरी छोड़कर 1980 में नक्सली आंदोलन में शामिल हुआ था और फिऱ कुख्यात बन गया था। सुदीप चोगंदर की मौत 8 फरवरी 2019 को कोलकाता के प्रेसीडेंसी जेल में सेरेब्रल मलेरिया से हुई थी।

महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में एक मुठभेड़ में मारी गई महिला नक्सली (Woman Naxali) सृजना की मौत ने भी नक्सलियों के अंदर खौफ भर दिया। 33 साल से सृजना नक्सलियों के साथ थी और आखिरकार पुलिस ने उसे मार गिराया था। इनके अलावा एमएमसी के मनिराम (सुखदेव), आंध्र ओड़िशा बार्डर के राकेश, पश्चिमी घाट में गणेश व मनोहर, दंडकारण्य के अशोक उर्फ रैनू की मौत ने भी नक्सलियों (Naxalites) का मनोबल तोड़ने का काम किया है।

आपको बता दें कि बीते एक साल में एरिया कमेटी स्तर के 14 सदस्य, पीएलजीए के 38, जनताना सरकार के छह, जनक्रांतिकारी संगठन के आठ सदस्य, जनमिलिशिया कमांडर 12 व क्रांतिकारी जनता संगठन के सात नक्सली (Naxals) मारे जा चुके हैं।