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छत्तीसगढ़: नक्सलियों को बैकफुट पर लाने में STF का है अहम रोल, ऐसे फौलादी बनते हैं इसके जवान

स्पेशल टास्क फोर्स (STF) साल 2008 में अस्तित्व में आई थी। और अब उसके जवान नक्सलियों को अकेले ही मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम हैं। जानकारी मिली है कि STF ऐसे जवान तैयार कर रही है, जो नक्सलियों को अकेले ही धूल चटा सकते हैं।

रायपुर: 3 अप्रैल को छत्तीसगढ़ के बीजापुर-सुकमा बॉर्डर के पास हुए नक्सली हमले ने पूरे देश का ध्यान नक्सलवाद जैसे गंभीर मुद्दे की ओर खींचा है।ऐसे में इस बात की चर्चा भी शुरू हुई है कि किन हालात में हमारे जवान नक्सलियों का सामना करते हैं और इस बड़ी समस्या से लड़ रहे हैं।

छत्तीसगढ़ में कई फोर्स ऐसी हैं, जो नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब देने में लगी हैं। इनमें CRPF, कोबरा, DRG, छत्तीसगढ़ पुलिस के जवान शामिल हैं।इसमें एक फोर्स और भी है, जो नक्सलियों के खिलाफ अपनी फुर्ती के लिए जानी जाती है। इस फोर्स का नाम है स्पेशल टास्क फोर्स।

स्पेशल टास्क फोर्स साल 2008 में अस्तित्व में आई थी। और अब उसके जवान नक्सलियों को अकेले ही मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम हैं। जानकारी मिली है कि STF ऐसे जवान तैयार कर रही है, जो नक्सलियों को अकेले ही धूल चटा सकते हैं।

लोहे से भी मजबूत हो जाते हैं STF के जवान

एसटीएफ में आए साधारण पुलिसकर्मी भी लोहे से मजबूत जवान बन जाते हैं। ‘लोहे से भी मजबूत होना’ एक पुरानी कहावत है, जिसका मतलब होता है कि ऐसी मजबूती जो असाधारण हो।

भिलाई से कुछ दूर बघेरा में स्पेशल टास्क फोर्स का हेडक्वार्टर है। यहां छत्तीसगढ़ पुलिस के चुनिंदा जवानों और आर्म्ड फोर्सेस के जवानों को स्पेशल ट्रेनिंग दी जा रही है। ये ट्रेनिंग दुश्मन को धूल चटाने के लिए काफी है।

इस फोर्स से जुड़े 2 आईपीएस अधिकारियों को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन और कीर्ति चक्र, पुलिस गैलेंट्री मेडल समेत कई पुरस्कार इसलिए मिल भी पाए, क्योंकि उन्होंने साधारण जवानों को असाधारण बना दिया।

एसटीएफ में इंडोर फायरिंग की भी ट्रेनिंग

मुंबई के ताज होटल में हुए आतंकी हमले के बाद इंडोर फायरिंग की ट्रेनिंग देने की जरूरत समझी गई। अब एसटीएफ के जवानों को भी इंडोर ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके लिए एसटीएफ की एक बिल्डिंग भी तैयार है।

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इस ट्रेनिंग का मकसद ये है कि अगर भविष्य में कभी ताज हमला जैसा कुछ होता है तो जवानों के पास इंडोर फायरिंग करने का हुनर हो और वह दुश्मन को मात दे सकें।

बहुत कठिन होती है एसटीएफ की ट्रेनिंग

एसटीएफ की ट्रेनिंग करना कोई आसाना काम नहीं है। क्योंकि जब बात साधारण से असाधारण बनने की होती है, तो उसके लिए कड़ी मेहनत भी करनी होती है।

पुलिस या बटालियन से जवानों को डेपोमेशन के लिए भेजा जाता है। इसके बाद इस बात की स्क्रीनिंग होती है कि ये जवान फिजिकली फिट हैं या नहीं। इसके बाद इन जवानों को कड़ी प्रैक्टिस करवाई जाती है। जिसका नतीजा ये होता है कि ये जवान फौलादी निकलते हैं।

बता दें कि इस समय नक्सल ऑपरेशन में STF की 2 यूनिट हैं। एसटीएफ ने बाकी फोर्सेस के साथ मिलकर अब तक 200 से ज्यादा नक्सली मारे हैं और 700 से ज्यादा नक्सलियों को गिरफ्तार किया है।