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छत्तीसगढ़: नक्सलियों की धमकी का नहीं हुआ असर, बड़ी संख्या में लोगों ने पंचायत चुनाव में किया नामांकन

छत्तीसगढ़ के कांकेर में नक्सलियों (Naxals) का खौफ अब बेअसर होता दिख रहा है।

छत्तीसगढ़ के कांकेर में नक्सलियों (Naxals) का खौफ अब बेअसर होता दिख रहा है। जहां पहले लोग नक्सलियों की धमकी से दहशत में आ जाते थे, अब जैसे उन्हें कुछ खास फर्क नहीं पड़ता नक्सलियों की ऐसी कायराना हरकतों से। ताजा उदाहरण है जिले में पंचायत चुनाव को लेकर हो रहा नामांकन।

चुनाव के विरोध में नक्सलियों द्वारा लगाया गया बैनर।

छत्तीसगढ़ के कांकेर में नक्सलियों (Naxals) का खौफ अब बेअसर होता दिख रहा है। जहां पहले लोग नक्सलियों की धमकी से दहशत में आ जाते थे, अब जैसे उन्हें कुछ खास फर्क नहीं पड़ता नक्सलियों की ऐसी कायराना हरकतों से। ताजा उदाहरण है जिले में पंचायत चुनाव को लेकर हो रहा नामांकन। जिले में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर नक्सलियों (Naxals) ने विरोध जताना शुरू कर दिया है। 5 जनवरी की रात नक्सलियों ने कोयलीबेड़ा के पंचायत भवन में बैनर बांधकर चुनाव नहीं लड़ने और बहिष्कार करने को कहा। इसके उलट ग्राम पंचायत कोयलीबेड़ा, जनपद और जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 11 के जनप्रतिनिधि नक्सलियों (Naxals) की धमकी के बावजूद लोकतंत्र पर विश्वास जताते हुए बड़ी संख्या में चुनावी मैदान में उतर रहे हैं।

6 जनवरी को जिस पंचायत भवन में नक्सली बैनर मिला उसी नक्सल संवेदनशील ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधि पर्चा दाखिल करने समर्थकों की भीड़ के साथ पहुंचकर कतार में खड़े रहे। 6 जनवरी की सुबह लोग कोयलीबेड़ा पंचायत भवन पहुंचे तो वहां नक्सली बैनर बंधा मिला। पंचायत भवन के अलावा पास की बाड़ी में भी बैनर बंधा था। एक बैनर में हिंदी और दूसरे में गोंडी भाषा में चुनाव का बहिष्कार करने की बात लिखी गई थी। दोनों बैनर रावघाट एरिया कमेटी ने बांधे हैं। सूचना मिलते ही पुलिस ने दोनों बैनर जब्त किर लिया। अब तक देखा गया है कि जहां नक्सली बैनर-पोस्टर मिलते हैं वहां दहशत के चलते सन्नाटा पसरा रहता है।

लेकिन इस बार ठीक उल्टे सुबह पंचायत भवन खुलते ही वहां चुनाव लड़ने के लिए फॉर्म भरने वालों की कतार लग गई। जिस तादाद में कोयलीबेड़ा में नामांकन दाखिल किए जा रहे हैं उससे साफ है कि अब लोगों में नक्सलियों (Naxals) के बहिष्कार का असर नहीं है। कोयलीबेड़ा के कामतेड़ा, केसेकोड़ी, आलपरस, पानीडोबिर ऐसी पंचायतें हैं जहां नक्सली दहशत के कारण सरपंच बनने कोई सामने नहीं आता था। इस बार सरपंच बनने के लिए इन पंचायतों से भी नामांकन दाखिल हो रहे हैं।

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