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जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में आज से बहुत कुछ बदल जाएगा

दो नए केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) और लद्दाख में प्रशासनिक स्तर पर कई परिवर्तन देखने को मिलेगा

अब इन दोनों केंद्र शासित राज्यों में आरटीआई, आरटीई व सीएजी के नियम समेत अन्य केंद्रीय कानून लागू हो सकेंगे

महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला और डॉ. फारूक अब्दुल्ला को अपने-अपने सरकारी बंगले खाली करने पड़ेंगे

देश के प्रथम गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती के मौके पर  जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) और लद्दाख आधिकारिक तौर पर दो केंद्र शासित प्रदेश बन गए। अब माना जा रहा है कि गत पांच अगस्त से हिरासत में बंद पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला और डॉ. फारूक अबदुल्ला को अपने-अपने सरकारी बंगले खाली करने पड़ेंगे। सूत्रों के मुताबिक, इनमें से महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला को एक नवम्बर तक बंगला खाली करने का नोटिस दे दिया गया है जबकि कांग्रेस नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद से उनका बंगला खाली करा लिया गया है। अभी तक इन सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुरक्षा का हवाला देकर श्रीनगर के अति सुरक्षा वाली जगह गुपकर रोड में आवास आवंटित किया गया था। ये सभी बंगले इन नेताओं को आजीवन के लिए आवंटित किए गए थे। फिलहाल, इन सभी को विकल्प के तौर पर यह भी कहा गया है कि जिन लोगों के पास जम्मू और श्रीनगर दोनों जगहों पर सरकारी बंगले हैं, वह दोनों में से किसी एक जगह सरकारी बंगला ले सकते हैं।

जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में अन्य राज्यों के लोग भी अब जमीन खरीद सकेंगे। इसके साथ ही पाकिस्तानी नागरिक कश्मीर की लड़की से शादी करने के बाद अब भारत की नागरिकता नहीं पा सकेंगे। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में पुडुचेरी की तरह ही विधानसभा होगी, जबकि लद्दाख चंडीगढ़ की तर्ज पर बिना विधानसभा वाला केंद्रशासित प्रदेश होगा। जम्मू-कश्मीर की कानून-व्यवस्था और पुलिस पर केंद्र का सीधा नियंतण्रहोगा, जबकि भूमि वहां की निर्वाचित सरकार के अधीन होगी। लद्दाख केंद्र सरकार के सीधे नियंत्रण में होगा। जम्मू-कश्मीर में अब तक राज्यपाल पद था, लेकिन अब दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में उप-राज्यपाल होंगे। फिलहाल दोनों राज्यों का एक ही उच्च न्यायालय होगा, लेकिन दोनों राज्यों के महाधिवक्ता अलग-अलग होंगे।

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सरकारी कर्मचारियों के सामने दोनों केंद्र शासित राज्यों में से किसी एक को चुनने का विकल्प होगा।राज्य में अधिकतर केंद्रीय कानून लागू नहीं होते थे, अब केंद्र शासित राज्य बन जाने के बाद जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) और लद्दाख दोनों में कम से कम 106 केंद्रीय कानून लागू हो पाएंगे। इसमें केंद्र सरकार की योजनाओं के साथ केंद्रीय मानवाधिकार आयोग का कानून, सूचना अधिकार कानून, एनिमी प्रॉपर्टी एक्ट और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने से रोकने वाला कानून शामिल है। जमीन और सरकारी नौकरी पर सिर्फ राज्य के स्थाई निवासियों के अधिकार वाले 35-ए के हटने के बाद केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में जमीन से जुड़े कम से कम सात कानूनों में बदलाव होगा।

राज्य पुनर्गठन कानून के तहत जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) के करीब 153 ऐसे कानून खत्म हो जाएंगे, जिन्हें राज्य स्तर पर बनाया गया था। हालांकि 166 कानून अब भी दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में लागू रहेंगे।राज्य के पुनर्गठन के साथ राज्य की प्रशासनिक और राजनैतिक व्यवस्था भी बदल रही है। जम्मू-कश्मीर में जहां केंद्र शासित प्रदेश बनाने के साथ-साथ विधानसभा बरकरार रहेगी, लेकिन अब विधानसभा का कार्यकाल छह साल की जगह देश के बाकी हिस्सों की तरह पांच वर्षों का ही होगा। विधानसभा में अनुसूचित जाति के साथ-साथ अनुसूचित जनजाति के लिए भी सीटें आरक्षित होंगी। पहले कैबिनेट में 24 मंत्री बनाए जा सकते थे, अब दूसरे राज्यों की तरह कुल सदस्य संख्या के 10 प्रतिशत से ज्यादा मंत्री नहीं बनाए जा सकते हैं। जम्मू कश्मीर विधानसभा में पहले विधान परिषद भी होती थी, वो अब नहीं होगी। राज्य से आने वाली लोकसभा और राज्यसभा की सीटों की संख्या पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

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केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) से पांच और केंद्र शासित लद्दाख से एक लोकसभा सांसद ही चुने जाएंगे। इसी तरह से केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर से पहले की तरह ही राज्यसभा के चार सांसद ही निर्वाचित होंगे। इसके अलावा 31 अक्टूबर के बाद चुनाव आयोग राज्य में परिसीमन की प्रक्रिया शुरू कर सकता है, जिसमें आबादी के साथ भौगोलिक, सामाजिक, आर्थिक ¨बदुओं पर ध्यान रखा जाएगा। जम्मू-कश्मीर में अब तक 87 सीटों पर चुनाव होते थे, जिनमें चार लद्दाख की, 46 कश्मीर की और 37 जम्मू की सीटें थीं। लद्दाख की चार सीटें हटाकर अब केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर की 83 सीटों के साथ परिसीमन होना है।