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बीएसएफ का ये जवान बना IAS, बॉर्डर पर पोस्टिंग के दौरान की तैयारी

बीएसएफ अधिकारी हरप्रीत सिंह ने ज्वॉइन की सिविल सर्विसेज

कहते हैं कि जहां चाह है वहां राह है। इस बात को सच कर दिखाया है सीमा सुरक्षा बल के एक अधिकारी हरप्रीत सिंह ने। कड़ी मेहनत और लगन के दम पर हरप्रीत सिंह ने हाल ही में भारतीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा में सफलता हासिल की थी। इस परीक्षा को पास कर हरप्रीत सिंह ने टॉप 20 रैंक में अपनी जगह बनाई है। न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बातचीत करते हुए हरप्रीत सिंह ने बताया कि उन्होंने साल 2016-17 के बीच बीएसएफ छोड़ दिया था। उन्होंने कहा कि आईएएस अधिकारी बनने का उनका सपना पूरा हो गया है। कड़ी मेहतन और परिश्रम ही उनकी सफलता का साधारण सा राज है। हरप्रीत सिंह ने कहा कि उन्होंने आशा कभी नहीं खोई।

हरप्रीत ने कहा, ‘साल 2016 में मैंने बीएसएफ ज्वायन किया था। यूपीएससी के जरिए मैं यहां असिस्टेंट कमांडेंट के तौर पर ज्वायन किया था। फोर्स ज्वायन करने के बाद मैं भारत-बांग्लादेश बॉर्डर पर तैनात था।’ उन्होंने बताया कि सीमा सुरक्षा बल में काम ज्यादा होने के बावजूद वो इस नौकरी को काफी एनज्वॉय करते थे। उन्होंने बताया कि समय निकालकर वो अपने लक्ष्य यानी आईएएस अधिकारी बनने के लिए कड़ी मेहनत भी करते थे। उन्होंने बताया, ‘मुझे जितना समय मिलता था मैं उसका इस्तेमाल करता था…मैं अपने नोट्स पढ़ता था और मेरे दिमाग में टारगेट हमेशा तय रहता था।’

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27 साल के हरप्रीत सिंह ने बताया कि उन्होंने वैकल्पिक विषय़ के तौर पर पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन को चुना था। हालांकि इससे पहले हरप्रीत ने इंडियन ट्रेड सर्विस में ग्रुप ए की नौकरी के लिए भी क्वालीफाई किया था। लेकिन उन्होंने दोबारा परीक्षा दी और आईएएस की परीक्षा में 19वां रैंक हासिल किया। उन्होंने बताया कि ‘बीएसएफ में काम करते हुए मैंने साल 2017 में सिविल सर्विस की परीक्षा दी थी। इस परीक्षा में मुझे 454वां रैंक हासिल हुआ था और मैं इंडियन ट्रेड सर्विस के लिए चुना गया था। मैंने बीएसएफ छोड़ कर आईटीएस ज्वायन कर लिया। इसके बाद साल 2018 में मैंने फिर सिविल सर्विसेज की परीक्षा दी और मुझे 19वां रैंक हासिल हुआ।’

पंजाब के लुधियाना जिले के रहने वाले हरप्रीत सिंह ने अपनी स्कूली शिक्षा ग्रीन ग्रोव पब्लिक स्कूल, खन्ना से हासिल की है। इसके अलावा उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स में बीई की डिग्री हासिल की। हरप्रीत सिंह के पिता व्यापारी हैं और उनकी मां एक शिक्षिका। घर में उनकी एक छोटी बहन भी हैं। उन्होंने सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे परीक्षार्थियों को जीत का मंत्र देते हुए कहा कि कभी भी अपने सपने को पूरा करते वक्त रुकना नहीं चाहिए…कोई फर्क नहीं पड़ता कि लक्ष्य कितना भी मुश्किल क्यों ना हो…कोशिश करते रहना चाहिए।

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