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उत्तर प्रदेश में बनेगी ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल, किया जाएगा 300 करोड़ रुपये का इनवेस्टमेंट

BrahMos supersonic cruise Missile (File Photo)

अगले तीन सालों में 100 से अधिक ब्रह्मोस मिसाइल (BrahMos supersonic cruise Missile) बनाए जाने की योजना है। ब्रह्मोस प्रोडक्शन सेंटर बनाने का कार्य जल्दी ही शुरू होगा। 

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल (BrahMos supersonic cruise Missile) निर्माण यूनिट लगाई जाएगी। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) डिफेंस कॉरिडोर के लखनऊ नॉड में अपनी इकाई लगाएगा। 200 एकड़ में बनने वाली इस इकाई में 300 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। इसके लिए DRDO की ओर से यूपी में जमीन लेने की इच्छा जाहिर की गई है।

इस बाबत 24 अगस्त को ब्रह्मोस अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के महानिदेशक डॉ. सुधीर कुमार मिश्रा ने औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना से लखनऊ में मुलाकात की। औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने बताया कि डिफेंस कॉरिडोर के जरिए भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की योजना है।

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नई निर्माण इकाई की स्थापना के लिए लिए स्थान चयन और भूमि आवंटन पर विचार-विमर्श किया गया है। महाना ने बताया कि कोशिश की जा रही है कि डीआरडीओ की इस इकाई को डिफेंस कॉरिडोर में लगाया जाए। यह डिफेंस कॉरिडोर कानपुर और बुंदेलखंड के बीच में तैयार किया जाएगा।

ब्रह्मोस प्रोडक्शन सेंटर बनाने का कार्य जल्दी ही शुरू होगा। इन सेंटर्स में रिसर्च और डेवलपमेंट का कार्य भी होगा। अगले तीन सालों में 100 से अधिक ब्रह्मोस मिसाइल (BrahMos supersonic cruise Missile) बनाए जाने की योजना है। ब्रह्मोस प्रोडक्शन सेंटर में उसमें करीब पांच सौ इंजीनियर तथा टेक्नीकल लोगों को सीधे रोजगार मिलेगा।

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इसके अलावा करीब पांच हजार लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा और 10 हजार लोगों को इस प्रोडक्शन सेंटर से काम मिलेगा। अधिकारियों का मानना है कि ब्रह्मोस प्रोडक्शन सेंटर के चलते अब यूपी डिफेंस कॉरिडोर में डिफेंस सेक्टर में कार्य करने वाले कई अन्य नामी कंपनियां राज्य में आएंगी।

बता दें ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल (BrahMos supersonic cruise Missile) को डीआरडीओ, भारत सरकार और एनपीओएम, रूसी सरकार के संयुक्त उपक्रम ब्रह्मोस एरोस्पेस द्वारा विकसित एवं उत्पादित किया जा रहा है। इसे पनडुब्बी से, पानी के जहाज से, विमान से या जमीन से भी छोड़ा जा सकता है। यह 10 मीटर की ऊंचाई पर उड़ान भर सकती है और रडार की पकड में नहीं आती।

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ब्रह्मोस, अमेरिका की टॉम हॉक से लगभग दोगुनी अधिक तेजी से वार कर सकती है। इसकी प्रहार क्षमता भी टॉम हॉक से अधिक है। रूस की एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया तथा भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने संयुक्त रूप से इसका विकास किया है। यह रूस की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की प्रौद्योगिकी पर आधारित है। वर्तमान में भारतीय थल, जल एवं वायु सेना द्वारा इसका उपयोग किया जा रहा है।