अनुच्छेद-370 (Article 370) को खत्म करने का विधेयक 5 अगस्त को राज्यसभा में पेश किया गया। इसके साथ ही Article 370 और 35A खत्म हो गया। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में अनुच्छेद-370 को हटाने का संकल्प पेश करते हुए कहा कि संविधान में अनुच्छेद 370 अस्थाई था। इसका मतलब यह था कि इसे एक न एक दिन हटाया जाएगा। लेकिन अब तक किसी में इतनी राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं थी कि इसके बारे में फैसला ले सके। कुछ लोग वोट बैंक की राजनीति कर रहे थे। लेकिन हमें वोट बैंक की परवाह नहीं है।
शाह ने कहा कि इतने वर्षों तक देश में जम्मू-कश्मीर के अल्पसंख्यकों को आरक्षण का लाभ नहीं मिला। अब वक्त आ गया है कि बिना देर किए अनुच्छेद-370 को हटाया जाए। जब गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में जब संविधान के अनुच्छेद-370 को हटाने का प्रस्ताव पेश किया तो विपक्षी नेता हंगामा करने लगे। पीडीपी सांसद नाजिर अहमद इस घोषणा के बाद कपड़े फाड़कर बैठ गए और हंगामा करने लगे। यही नहीं कांग्रेस, तृणमूल एवं डीएमके के सांसदों ने भी खूब हंगामा किया। वहीं अन्नाद्रमुक के ए. नवनीतकृष्णन ने कहा कि हम फैसले का स्वागत करते हैं। अनुच्छेद-370 अस्थाई है और इसे हटाने का प्रावधान गलत नहीं है।
इस फैसले पर पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि आज भारतीय लोकतंत्र का सबसे काला दिन है। साल 1947 में जम्मू कश्मीर के नेतृत्व ने दो राष्ट्र की थ्योरी को खारिज करके भारत में शामिल होने का निर्णय लिया था जो उल्टा साबित हुआ है। भारत सरकार का अनुच्छेद-370 को हटाने का फैसला असंवैधानिक और अवैध है। वहीं कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में तीन-तीन पूर्व मुख्यमंत्री नजरबंद किए गए हैं। भाजपा ने आज संविधान की हत्या की है। उधर, बीएसपी और बीजेडी इसका समर्थन किया।
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