सेमिनार में बोलते हुए थल सेनाध्यक्ष (Army Chief) जनरल नरवणे (M M Naravane) ने साफ शब्दों में कहा कि मौजूदा तकनीक को सेना में सम्मलित करने की बेहद जरूरत है।
मध्य प्रदेश के में इंदौर के महू में स्थित आर्मी वॉर कॉलेज में दो दिन का वेबिनार आयोजित हुआ, जिसकी अध्यक्षता आर्मी चीफ जनरल एम एम नरवणे (M M Naravane) ने की। यह आयोजन सुरक्षा एवं रणनीतिक मुद्दों पर आयोजित होने वाले सेमिनारों का हिस्सा था। वेबिनार का विषय था- ‘इम्पैक्ट ऑफ डिसरप्टिव टेक्नोलॉजिस ऑन आवर फाइटिंग फिलॉसफी इन फ्यूचर कॉन्फ्लिक्ट्स’।
इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, क्लाउड कंप्यूटिंग, साइबर एवं बिग डाटा एनालिसिस आदि के सैन्य रणनीतियों पर असर और उनके उपयोग के बारे में विस्तार से चर्चा की गई।
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इस सेमिनार में बोलते हुए थल सेनाध्यक्ष (Army Chief) जनरल नरवणे (M M Naravane) ने साफ शब्दों में कहा कि मौजूदा तकनीक को सेना में सम्मलित करने की बेहद जरूरत है। इसके तहत मौजूदा हथियार और सैन्य साजो सामान को तकनीकी तौर से अपग्रेड किया जा रहा है। साथ ही इस बात की भी जरूरत है कि नई तकनीकों को ढूंढकर सेना में शामिल किया जाए, फिर भले ही वे ‘दुधारी तलवार’ ही क्यूं ना हों।
बता दें कि आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस, रोबोट्स, साइबर, 5जी, क्लॉउड कम्पयुटिंग और स्पेस तकनीक को डिसरप्टिव टेक्नोलॉजी की कैटेगरी में रखा जाता है, जिसमें चीनी सेना को महारत हासिल है। माना जाता है कि चीनी सेना परपंरगत-युद्ध यानी आमने-सामने के युद्ध में इतनी परिपक्व नहीं है, इसीलिए तकनीक के सहारे युद्ध लड़ने में विश्वास रखती है।
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चीन की इस डिसरप्टिव टेक्नोलॉजी को देखते हुए ही भारतीय सेना (Indian Army) भी अपने आप को टेक्नालॉजी-वॉरफेयर के लिए तैयार कर रही है। उसी कड़ी में वॉर कॉलेज में इस सेमिनार का आयोजन किया गया।
थलसेना ने सम्मेलन के बाद 25 अगस्त को बयान जारी कर कहा कि महू (मध्य प्रदेश) स्थित वॉर कॉलेज में दो दिवसीय (24-25 अगस्त) सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन की मुख्य थीम था, ‘इम्पेक्ट ऑफ डिसरप्टिव टेक्नोलॉजी ऑन फाइटिंग फिलोसोफी इन फ्यूचर कॉन्फिलिक्ट्स’।
थलसेना के प्रवक्ता, कर्नल अमन आनंद के मुताबिक, आज के समय में वॉरफेयर (युद्धकला) में काफी बदलाव आ चुका है। आज के समय में ‘टेक्नालॉजी की सुनामी’ आ चुकी है, जिसके चलते भविष्य के युद्ध के लिए सेनाओं को खुद में बदलाव लाने होंगे। इस सुनामी में वॉरफेयर के नए परिदृश्य तो जुड़ ही गए हैं, डिसरप्टिव टेक्नालॉजी यानी हानिकारक तकनीक भी इसमें शामिल है। इसी के लिए भारतीय सेना ने वॉर कॉलेज में इस सेमिनार का आयोजन किया।
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कोविड प्रोटोकॉल्स को देखते हुए इस सेमिनार को वेबिनार का रूप भी दिया गया। इस सम्मेलन में सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ टेक्नोक्रेट्स, एकेडेमीशियन और स्पेशलिस्ट व्यक्तियों ने हिस्सा लिया। सम्मेलन में थलसेना की ट्रेनिंग कमान के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल राज शुक्ला ने भी शिरकत की।