भारत का नेपाल (Nepal) के साथ विवाद तब शुरू हुआ, जब उसने भारत की धारचुला से लिपुलेख दर्रा तक बनाई गई 80 किलोमीटर लंबी सड़क के उद्घाटन पर आपत्ति की थी।
नेपाल (Nepal) ने जब से अपने नक्शे में कालपानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख को शामिल किया है, भारत (India) के साथ उसके रिश्तों में खटास आ गई है। इसी सिललिसे में थलसेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे (General MM Naravane) नवंबर के पहले सप्ताह में नेपाल जाएंगे। विवाद शुरू होने के बाद किसी भारतीय अधिकारी का यह पहला नेपाल दौरा होगा।
जनरल नरवणे अपने नेपाल दौरे में वहां के सैन्य एवं राजनीतिक नेतृत्व से मुलाकात करंगे और उनके बीच भारत-नेपाल के द्विपक्षीय संबंधों पर गहन चर्चा होगी।
इतना ही नहीं, लंबे समय से चली आ रही परंपरा के मुताबिक नेपाल (Nepal) की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी जनरएल एमएम नरवणे को ‘नेपाल आर्मी के जनरल’ मानद रैंक से भी सम्मानित करेंगी। अधिकारियों के मुताबिक, इसके लिए एक विशेष समारोह का आयोजन किया जाएगा।
COVID-19: देश में कोरोना के मामले पहुंचे 73 लाख के पार, 24 घंटे में आए 67,708 नए केस
बता दें कि चीन बीते कुछ सालों में नेपाल के अंदर रणनीतिक घुसपैठ कर भारत के लिए मुश्किलें खड़ी करने की कोशिश कर रहा है। ऐसे में जनरल नरवणे के इस दौरे से काफी उम्मीद है। इस दौरे से दोनों देशों के संबंधों में आई खटास कम होगी और दोस्ती का सिलसिला नए सिरे से आगे बढ़ेगा।
दरअसल, भारत का नेपाल (Nepal) के साथ विवाद तब शुरू हुआ, जब उसने भारत की धारचुला से लिपुलेख दर्रा तक बनाई गई 80 किलोमीटर लंबी सड़क के उद्घाटन पर आपत्ति की थी।
Ladakh: कड़ाके की ठंड नहीं झेल पा रहे चीनी सैनिक, गंवानी पड़ रही जान, जानें पूरा मामला
बता दें कि लिपुलेख भारत, नेपाल और चीन के बीच ट्राइजंक्शन पर पड़ता है। धारचुला-लिपुलेख सड़क के जवाब में नेपाल ने कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख को अपने नक्शे में शामिल कर लिया था और नए नक्शे को संसद से पास करवाकर उस पर राष्ट्रपति का हस्ताक्षर भी करवा दिया।
भारत ने इसका जोरदार विरोध किया। भारत ने कहा कि नेपाल की केपी शर्मा ओली सरकार की तरफ से लाया गया नया नक्शा जमीनी हकीकत से परे और अस्वीकार्य है। इसके बाद विवाद के मद्देनजर दोनों देशों के बीच राजनीतिक और कूटनीतिक स्तर पर कई दौर की वार्ता हुई।
गौरतलब है कि भारत (India) और नेपाल (Nepal) में काफी गहरे संबंध रहे हैं। दोनों देशों की आर्मी दोनों देशों के बीच मजबूत कड़ी का काम करती हैं। दोनों देशों की सेनाएं विभिन्न मोर्चों पर एक-दूसरे के साथ कदम से कदम मिलाकर चलती हैं। दोनों सेनाओं के संयुक्त युद्धाभ्यास के साथ ही सैनिकों की ट्रेनिंग का कार्यक्रम भी चलता रहता है।
जैसे कि नेपाल के रुपेनदेही जिला स्थित सालीझांडी के आर्मी बैटल स्कूल में पिछले साल दिसंबर में ‘सूर्य किरण’ एक्सरसाइज का 14वां संस्करण संपन्न हुआ। इतना ही नहीं, भारतीय सेना के सात गोरखा राइफल्स (पहले, तीसरे, चौथे, पांचवें, आठवें, नवें और 11वें) में 28 हजार नेपाली नागरिक शामिल हैं। इन गोरखा राइफल्स में दार्जिलिंग, देहरादून और धर्मशाला के गोरखा भी हैं।
ये भी देखें-
वहीं, भारतीय आर्मी के 1.25 लाख रिटायर्ड अधिकारियों को अब भी नेपाल सरकार पेंशन देती है। सालों से दोनों देशों के बीच इतने अच्छे संबंध रहे। लेकिन चीन की चालबाजियों की वजह से दोनों देशों में विवाद खड़ा हो गया। अब आर्मी चीफ का नेपाल (Nepal) दौरा इन संबंधों को बेहतर करने की उम्मीद जगाता है।