War of 1965: भारत ने पाकिस्तान के सियालकोट, लाहौर और कश्मीर के कुछ उपजाऊ इलाके जीत लिए थे। भारत फायदे में था और पाकिस्तान नुकसान में।
भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 में भीषण युद्ध (War of 1965) लड़ा गया था। पाकिस्तान को हमारे सैनिकों ने हर मोर्चे पर पटकनी दी थी। पाकिस्तान इस हार को कभी भूल नहीं पाएगा। दुश्मन देश चाहता था कि वह भारत को हराए, लेकिन वीर सपूतों ने ऐसा नहीं होने दिया।
युद्ध में एक वक्त ऐसा आया जब दोनों देशों को संघर्ष विराम का प्रस्ताव मंजूर करना पड़ा। युद्ध को शांत करने के लिए दोनों देशों के बीच 10 जनवरी, 1966 को ताशकंद समझौता हुआ था। दोनों देशों के बीच 10 जनवरी, 1966 की तारीख को समझौते पर लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने हस्ताक्षर किए।
भारत ने पाकिस्तान के सियालकोट, लाहौर और कश्मीर के कुछ उपजाऊ इलाके जीत लिए थे। भारत फायदे में था और पाकिस्तान नुकसान में। इस समझौते के तहत दोनों देश इस बात पर सहमत हुए कि जंग से पहले दोनों देशों की जो स्थिति थी, वही बनी रहेगी। इसके साथ ही भारत ने पाकिस्तान को वो सभी इलाके वापस लौटाने के लिए हामी भरी जिसपर कब्जा कर लिया गया था।
पाकिस्तान को हाजी पीर और ठिथवाल वापस करना भी समझौते का हिस्सा था। इस समझौते के अनुसार यह भी तय हुआ कि भारत और पाकिस्तान अपनी शक्ति का प्रयोग नहीं करेंगे और अपने झगड़ों को शांतिपूर्ण ढंग से तय करेंगे।
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दोनों देशों के बीच आपसी हित के मामलों में शिखर वार्ताएं और अन्य स्तरों पर वार्ताएं जारी रहेंगी। दोनों के बीच संबंध एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने पर आधारित होंगे। राजनयिक संबंध फिर से स्थापित कर दिए जाएंगे। शरणार्थियों की समस्याओं और अवैध प्रवासी प्रश्न पर विचार-विमर्श जारी रखा जाएगा।