Indian Army: युद्ध स्मारक (War Memorial) आम लोगों को शहीदों और घायलों से सचेतन रूप से जुड़ने का अवसर प्रदान करता है। यह भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का प्रतीक बन जाता है।
भारतीय सेना देश की रक्षा के लिए किसी भी हद तक गुजरने के लिए तैयार रहती है। ऐसे कई मौके आए हैं जब हमारे वीर सपूतों ने इस बात को पूरी तरह से सच साबित भी किया है। आजादी के बाद अबतक चार युद्ध के अलावा हमारे सैनिकों ने हर छोटे से लेकर बड़े ऑपरेशनों में हिस्सा लेकर बलिदान दिया है। हम सुकून की नींद सो सकें, इसके लिए हमारे जवान दिन रात सीमा पर तैनात रहते हैं।
शहीद जवानों की याद में युद्ध स्मारकों (War Memorial) का निर्माण किया जाता रहा है। युद्ध स्मारक एक इमारत, स्मारक, प्रतिमा या कोई अन्य भवन होता है, जो किसी युद्ध या विजय का उत्सव मनाने अथवा युद्ध में शहीद या घायल हुए सैनिकों की बहादुरी को प्रदर्शित करने के लिए बनाया जाता है।
एक युद्ध स्मारक (War Memorial) आम लोगों को शहीदों और घायलों से सचेतन रूप से जुड़ने का अवसर प्रदान करता है। यह भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का प्रतीक बन जाता है। स्वतंत्रता के बाद से भारतीय सशस्त्र सेनाओं के 25,000 से ज्यादा सैनिकों ने देश की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा में सर्वोच्च बलिदान दिया है।
ये भी देखें-
राष्ट्रीय समर स्मारक, सशस्त्र सेनाओं के प्रति राष्ट्र की कृतज्ञता का प्रतिनिधित्व करता है। यह स्मारक हमारे नागरिकों में अपनत्व, उच्च नैतिक मूल्यों, बलिदान और राष्ट्र गौरव की भावना को सुदृढ़ करता है। यह स्मारक स्वतंत्रता के बाद विभिन्न संघर्षों, संयुक्त राष्ट्र ऑपरेशनों, मानवीय सहायता और आपदा राहत तथा बचाव ऑपरेशनों में हमारे सैनिकों के बलिदान का प्रतीक है।