राय (TILAK BAHADUR RAI) ने अपनी बहादुरी से न केवल अपने घायल साथियों की जान बचाई, बल्कि आतंकियों को भी सबक सिखाया। वह तब तक आतंकियों के खिलाफ मोर्चा संभाले रहे, जब तक आतंकी पीछे नहीं हट गए।
वो 18 अगस्त 1989 का दिन था। श्रीलंका में एक मिशन पर गए जवानों पर करीब 40-50 आतंकियों ने घात लगाकर हमला कर दिया। आतंकी अलग-अलग दिशाओं से फायरिंग कर रहे थे।
इस हमले में कई जवान घायल हो गए। मौके की गंभीरता को देखते हुए लांस नायक तिलक बहादुर राय (TILAK BAHADUR RAI) ने मोर्चा संभाला और आतंकियों को भारी नुकसान पहुंचाया।
राय ने देखा कि उनके साथी रायफलमैन विष्णु प्रसाद राय घायल हो चुके हैं और आतंकी उनका रेडियो सेट और कार्बाइन को उठाने की कोशिश कर रहे हैं।
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राय ने अपनी बहादुरी से न केवल अपने घायल साथियों की जान बचाई, बल्कि आतंकियों को भी सबक सिखाया। वह तब तक आतंकियों के खिलाफ मोर्चा संभाले रहे, जब तक आतंकी पीछे नहीं हट गए।
लांस नायक तिलक बहादुर राय की बहादुरी और साहस की वजह से उन्हें 1991 में गणतंत्र दिवस के मौके पर वीर चक्र से सम्मानित किया गया।
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