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1962 के युद्ध की कहानी रिटायर्ड हवलदार सेरिंग ताशी की जुबानी, जानें कैसा था इनका अनुभव

रिटायर्ड हवलदार सेरिंग ताशी

Indo-China War 1962: इस युद्ध में रिटायर्ड हवलदार सेरिंग ताशी ने भी हिस्सा लिया था। अब ताशी की उम्र 82 साल है लेकिन जब वह इस युद्ध में शामिल हुए थे तो उनकी उम्र 21 साल थी। 

भारत और चीन के बीच 1962 में भीषण युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में हमारी सेना (Indian Army) को हार का सामना करना पड़ा था। युद्ध में भारतीय सेना (Indian Army) को हार का मुंह देखना पड़ा था। चीन ने इस युद्ध से पहले भारत पर हमला क्यों किया, इसका रहस्य आज भी बरकरार है लेकिन मोटे अनुमान कई बार लगाए जा चुके हैं। कहा जाता है कि इस युद्ध की पटकथा 1950 में ही लिखी जा रही थी। चीन हमेशा से विस्तारवाद की नीति पर चलता आया है।

इस युद्ध में रिटायर्ड हवलदार सेरिंग ताशी ने भी हिस्सा लिया था। अब ताशी की उम्र 82 साल है लेकि जब वह इस युद्ध में शामिल हुए थे तो उनकी उम्र 21 साल थी। वे युद्ध से 2 साल पहले ही सेना में शामिल हुए थे। उन्होंने युद्ध के अपने अनुभव को साझा किया है।

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वे बताते हैं कि ‘चीन के पास ऑटोमेटिक हथियार थे जबकि हमारे पास लोड करने वाली राइफल। हमें बार-बार लोड कर फायर करना होता था, लेकिन चीन के पास ऑटोमेटिक हथियार थे। ऐसे में वे तेजी के साथ कई फायर करते थे। युद्ध के दौरान मुझे डीबीओ दौलत बेग ओल्डी इलाके में जाट रेजीमेंट के साथ रखा गया था। मुझे इस इलाके के रास्ते मालूम थे। एक वक्त ऐसा आया जब हमें दो पहाड़ियों के बीच से निकलना था, लेकिन तभी चीन सैनिक भी वहां आ पहुंचे थे।

वे आगे बताते हैं ‘यानी चुशूल और दौलत बेग ओल्डी में एक ही वक्त में फायरिंग शुरू हो गई थी। हमारे पास सैनिक भी कम थे लेकिन अब स्थिति बिल्कुल बदल चुकी है। हमारे पास सैनिक भी हैं और हथियार भी हैं। उस समय तो महज थ्री नॉट थ्री होता था, जिसे बार-बार लोड कर फायर करना पड़ता था।