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CRPF जवान भृगुनंदन चौधरी की शौर्य गाथा, जख्मी हालत में भी आधा दर्जन नक्सलियों को मार गिराया

Constable Bhrigu Nandan Choudhary

भृगुनंदन (Bhrigu Nandan Choudhary) को मरणोपरांत सीरआरपीएफ (CRPF) ने ‘कीर्ति चक्र’ से सम्मानित किया। यह पदक पाने वाले वे छत्तीसगढ़ के पहले और देश के दूसरे शहीद जवान हैं।

केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) के वीर शहीद भृगुनंदन चौधरी (Bhrigu Nandan Choudhary) बेहद ही बहादुर जवान माने जाते थे। देश की मिट्टी के लिए कुछ भी कर गुजरने का सपना लेकर सीआरपीएफ ज्वॉइन कर वे अपनी शौर्य गाथा लिखकर चले गए। बचपन से ही बहादुर चौधरी ने सीआरपीएफ ज्वॉइन करने के बाद कई नक्सलियों को मौत के घाटा उतारा था।

वे 8 सितंबर, 2012 को बिहार के गया और औरंगाबाद जिले के चकरबंधा जंगल में नक्सली मुठभेड़ में शहीद हो गए थे। करीब डेढ़ सौ नक्सलियों ने सुरक्षा बल की संयुक्त टुकड़ी पर आईईडी विस्फोट कर अंधाधुंध गोलीबारी की थी। इस हमले में भृगुनंदन बुरी तरह जख्मी हो गए थे।

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कमर से नीचे तक का पूरा हिस्सा काम नहीं करने बाद भी उन्होंने 12 ले ज्यादा नक्सलियों को मार गिराया था। कमर से नीचे तक का पूरा हिस्सा काम नहीं करने बावजूद ऐसा शौर्य दिखाना अपने आप में ही ही बहादुरी की मिसाल पेश करता है जो कि अन्य जवानों के लिए प्रेरणा स्रोत है।

उन्हें मरणोपरांत सीरआरपीएफ (CRPF) ने ‘कीर्ति चक्र’ से सम्मानित किया। यह पदक पाने वाले भृगुनंदन (Bhrigu Nandan Choudhary) छत्तीसगढ़ के पहले और देश के दूसरे शहीद जवान हैं। उन्होंने रात भरी लड़ाई कर सुबह चार बजे दम तोड़ा था। इस ऑपरेशन में सीआरपीएफ ने नक्सलियों को एक पूरे कैंप को बरबाद कर दिया था।

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नक्सलियों के कैंप से 5 क्विंटल विस्फोटक और 3 क्विंटल राशन के साथ 65 लैंड माइन बम, 9 पाइप बम और भारी संख्या में गोला बारूद बरामद किया था। पीछे भागते नक्सली अपने 12 साथियों की लाशें और घायलों को अपने साथ ले गए थे। नक्सलियों की ओर से इस मुठभेड़ में शामिल कुख्यात माओवादी संदीप और उसके लगभग 150 हथियारबाद साथी थे। बता दें कि शहीद भृगुनंदन चौधरी गरियाबंद जिले के सढ़ौली निवासी थे।