Saraikela Naxal Attack: भले ही कुछ दिन गुजर गए लेकिन जो जख्म नक्सली दे गए वो जख्म चंद दिनों या कुछ सालों में शायद कभी ना भरेंगे। 8 फरवरी 1970 को झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के जाम बेड़ा गांव में डिब्रू पुरती का जन्म हुआ। 29 जनवरी 2009 को उन्होंने झारखंड पुलिस ज्वॉइन किया और फिर सौगंध ली किसी भी सूरत में अपने फर्ज को अदा करने की। बीते शुक्रवार (21 जून, 2019) को राज्य के सरायकेला जिला के तिरूल्डीह थाना क्षेत्र में कुकड़ू साप्ताहिक हाट के दौरान नक्सलियों ने अचानक हमला कर दिया और डिब्रू परती इस हमले में शहीद हो गए।
मंझारी थाना के तांतनगर प्रखंड के पांडुसाई टोला में जैसे ही डिब्रू पुरती के शहीद होने की खबर आई वहां सन्नाटा पसर गया। गांव के लाल के शहीद होने की खबर मिलते ही परिवार वालों के आंखों से अश्क बहने लगे। शनिवार (22 जून, 2019) को डिब्रू पुरती का पार्थिव शरीर उनके गांव पहुंचा। यहां डीएसपी के नेतृत्व में शहीद का पार्थिव शरीर गांव पहुंचा तो कई लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर शहीद की मां ने विराट ह्रदय के साथ कहा कि ‘मेरा बच्चा अमर हो गया।’
शहीद अपने पीछे अपनी पत्नी और 4 बेटों को छोड़ कर गए हैं। पहला बेटा सीताराम पुरतीजो 14 वर्ष के हैं वह सरायकेला में दसवीं कक्षा के छात्र हैं। जबकि दूसरे पुत्र राजेश पुरती 13 वर्ष के हैं जो राजनगर में नौवीं कक्षा में पढ़ाई करते हैं। रितेश पुरती वह भी राजनगर में कक्षा पांचवी में पढ़ाई करता है जबकि घनश्याम पुरती 2 साल का है वह अपनी मां के साथ गांव में ही पढ़ाई करता है।
बता दें कि शहीद डिब्रू पुरती की प्रारंभिक शिक्षा गांव के निकट तेतेनडा में हुई थी। हाई स्कूल असुरा से उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की थी। इनके दो बड़े भाई रमजा पुरती तथा बहादुर पूर्ति दोनों गांव में ही रहते हैं। दोनों भाइयों ने दूसरे के घर में मजदूरी कर डिब्रू को पढ़ाया था। डिब्रू सादगी एवम साधारण स्वभाव के धनी व्यक्तित्व वाले थे, मिलनसार थे। डिब्रू की मां ननीका पुरती का कहना है कि अंतिम बार विभाग के काम से पिछले रविवार को चाईबासा आए हुए थे। ग्रामीणों ने पुलिस पदाधिकारियों से शहीद डिब्रू पुरती के नाम पर स्कूल का नाम रखने का प्रस्ताव दिया है। वही तेतेड़ा चौक में शहीद का प्रतिमा लगाने एवं सड़क का नामकरण भी उनके नाम पर करने की मांग रखी है।
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