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जबलपुर का यह गांव जांबाजों की खान है

brave heart martyrs

मध्यप्रदेश के जबलपुर जनपद के खुडावल गांव जिसने अपने तीन सपूतों को खोया है। इस गांव के तीन लाल पिछले एक दशक में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों से लेकर जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के कारण शहीद हुए हैं।

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 330 किलोमीटर दूर बसा यह गांव राष्ट्रसेवा में हमेशा आगे रहा है। इस गांव से लगभग पचास लोग सेना और अर्धसैनिक बल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

तीन साल पहले रामेश्वर लोधी जम्मू कश्मीर में आतंकियों का निशाना बने थे, और शहीद हो गए थे। शहीद रामेश्वर पटेल के पिता मोतीलाल पटेल किसान थे और मां जयन्ती बाई गृहणी हैं। शहीद के पिता ने खेती किसानी से अपने बेटों को पढ़ाया लिखाया। शहीद रामेश्वर के बड़े के भाई के बेटे नरेश पटेल मजदूरी करते हैं। रामेश्वर ही परिवार में थे जो नौकरी करते थे। वे 2003 में सेना में भर्ती हुये थे। शहीद रामेश्वर की शादी शहादत से पाँच वर्ष पहले ही हुई थी, उस वक़्त इनका एक तीन साल का बेटा था।

इससे पहले राजेंद्र उपाध्याय छत्तीसगढ़ के बालाघाट में हुए नक्सल हमले में शहीद हुये थे। अभी हाल में हुए पुलवामा में आतंकी हमले के दौरान अश्विनी कुमार को शहादत मिली है। अश्विनी कुमार का परिवार बेहद ग़रीब है और ये अपने परिवार में इकलौते नौकरी पेशा से जुड़े व्यक्ति थे। अश्विनी कुमार की शादी होने वाली थी। परिवार ने उनके लिए लड़की भी ढूंढ़ लिया था। पर किसी को क्या पता कि वक़्त ऐसा सितम ढाएगा।

जबलपुर के मझौली तहसील के खुडावल गांव की आबादी लगभग 400 घरों की है। यहां के अधिकतर युवक सेना में जाना ही पसन्द करते हैं। इस गांव से लगभग पचास युवक सेना में हैं और देश की रक्षा करने में लगे हुए हैं।