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बेटे की याद आती है तो वर्दी को गले लगा लेती है मां, ऐसी है शहीद की यादें

Kargil War: जंग के मैदान में दुश्मनों से लोहा लेते हुए शहीद हुए सुरेंद्र (Martyr Surendra Pal) की मां आज भी बेटे की याद आने पर उनकी वर्दी को गले लगा लेती हैं।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में कारगिल युद्ध (Kargil War) लड़ा गया था। इस युद्ध में हमारे वीर सपूतों ने दुश्मनों को बुरी तरह से हराया था। भारतीय सेना के 527 जवान इस युद्ध में शहीद हुए थे जबकि 1,300 से ज्यादा जवान घायल हुए थे।

इनमें से एक सिपाही सुरेंद्र पाल भी थे। जंग के मैदान में दुश्मनों से लोहा लेते हुए शहीद हुए सुरेंद्र (Martyr Surendra Pal) की मां आज भी बेटे की याद आने पर उनकी वर्दी को गले लगा लेती हैं।

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मां का नाम चंपा देवी है। वह बताती हैं, “सुरेंद्र बेहद बहादुर था। उसने 15 मई 1999 की तपती दोपहर में उसने मोर्चे पर जाने की बात कही थी। उनसे कहा था की मैं सीमा पर लड़ने जा रहा हूं और तिरंगे में ही लिपटकर आऊंगा। करगिल के द्रास सेक्टर में तैनात हुई थी। दुश्मनों से लोहा लेते हुए वह शहीद हो गया था।”

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मां आगे बताती हैं, “वह किसी से नहीं डरता था और दुश्मन को मारने के बाद ही उसने आखिरी सांस ली। मुझे जब भी उसकी याद आती है तो मैं उसकी वर्दी को अपने गले से लगा लेती हूं। इस तरह मुझे महसूस होता है कि मैं अपने बेटे के पास ही हूं। वह कह करता था कि जब तक मेरे जैसे बेटे इस देश में है तब तक भारत मां के खिलाफ कोई आंख उठाकर भी नहीं देख सकता।”