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1971 के युद्ध में लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा ने सेना को किया था लीड, पाकिस्तान को दिया था बड़ा सदमा

लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा (बाएं)

1971 के युद्ध में लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा (Jagjit Singh Aurora) ऐसे भारतीय जनरल के रूप में जाने जाते हैं, जिन्होंने पाकिस्तान की आंखों में आंसू ला दिए थे।

साल 1971 में बांग्लादेश की आजादी में भारत का बड़ा योगदान था। भारत ने बांग्लादेश के साथ मिलकर पाकिस्तान को धूल चटाई थी। इस युद्ध के बाद बांग्लादेश एक अलग देश के रूप में दुनिया के नक्शे पर आया था। बांग्लादेश के गठन के साथ ही मानवता के खिलाफ पाकिस्तान की असलियत पूरी दुनिया ने देखी थी। पाकिस्तान (Pakistan) आजादी के बाद से अब तक भारत के साथ विश्वासघात करता आया है, लेकिन हर बार नुकसान झेलकर वापस लौटा है। ऐसा ही 1971 में भी हुआ था।

1971 के युद्ध में लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा (Jagjit Singh Aurora) ऐसे भारतीय जनरल के रूप में जाने जाते हैं, जिन्होंने पाकिस्तान की आंखों में आंसू ला दिए थे। उन्होंने युद्ध में अपनी रणनीति से पाकिस्तान को हर मोर्चे पर फेल कर दिया था। 13 फरवरी, 1916 को झेलम की काला गुजरान जिले में जन्में लेफ्टिनेंट जनरल अरोड़ा बेहद ही चालाक सैनिक माने जाते थे।

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16 दिसंबर, 1971 को इंडियन आर्मी (Indian Army) और बांग्‍लादेश की मुक्ति वाहिनी (बांग्लादेश की सेना) को लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा (Jagjit Singh Aurora) ही लीड कर रहे थे। ये वह दिन था, जब पाकिस्‍तान की सेना के ऑफिसर जनरल अमीर अब्‍दुल्‍ला खान नियाजी को अपने 93,000 सैनिकों के साथ भारत से मिली हार के बाद आखिर में सरेंडर करना पड़ा था।

सरेंडर करते समय नियाजी की आखों में आंसू भर आए थे। सेना ने खास रणनीति ‘वॉर ऑफ मूवमेंट’ के जरिए दुश्मनों के कब्जे वाले इलाकों पर कहर बरपा कर खुद का कब्जा जमाया था। यहां तक भारतीय सेना (Indian Army) ढाका तक पहुंच गई थी।

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इस स्पेशल रणनीति के तहत सीधे-सीधे ईस्ट पाकिस्तान (बांग्लादेश) में न घुसकर गांवों के रास्तों पर फोकस किया गया था। यानी की छोटे-छोटे गांवों और देहातों से होते हुए बांग्लादेश को पाकिस्तान सेना से मुक्त करवाना। इस रणनीति की वजह से ही भारत ने पाकिस्तान पर फतह हासिल की।