Indian Army: ऐसे ही एक जवान लेफ्टिनेंट कर्नल योगेश कुमार जोशी हैं। वे युद्ध के सबसे सामरिक रूप से महत्वपूर्ण प्वाइंट यानी टाइगर हिल को कब्जा करनेवाली टीम के कमांडिंग ऑफिसर रहे।
भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में लड़े कारगिल युद्ध में भारतीय वीर सपूतों का डंका बजा था। हमारे सैनिकों ने पाकिस्तानी सेना के जवानों को छठी का दूध याद दिला दिया था। युद्ध के उन दिनों को यादकर पाकिस्तानी सैनिक आज भी थर-थर कांप उठते होंगे।
करीब 2 महीने चले इस युद्ध में हमारे जवानों ने पाकिस्तानी सैनिकों को हर मोर्चे पर विफल साबित किया था। यह सब हमारे जवानों के पराक्रम और बलिदान की वजह से संभव हो सका था। यूं तो युद्ध में हर जवान की अहमियत होती है लेकिन कुछ जवान ऐसे होते हैं जो कि अपनी अलग ही छाप छोड़ते हैं।
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ऐसे ही एक जवान लेफ्टिनेंट कर्नल योगेश कुमार जोशी हैं। वे युद्ध के सबसे सामरिक रूप से महत्वपूर्ण प्वाइंट यानी टाइगर हिल को कब्जा करने वाली टीम के कमांडिंग ऑफिसर रहे।
इस युद्ध के बड़े गवाह लेफ्टिनेंट जनरल आज तक एक भी क्षण नहीं भूले हैं। उन्होंने युद्ध के दिनों को यादकर अपने अनुभव को साझा किया है। वे बताते हैं कि ‘मैं जब भी कारगिल के इलाकों पर पहुंचता हूं तो मुझे वहां एक-एक पत्थर युद्ध की याद दिलाता है। कारगिल सबसे ऊंची पहाड़ी पर लड़ा गया युद्ध था।’
वे आगे बताते हैं ‘मैं उस समय लेफ्टिनेंट कर्नल था। मैंने और मेरी बटालियन ने द्रास सेक्टर में पॉइंट 5140 पर कब्जा किया था। मेरी बटालियन ने इस दौरान चार सफल हमले किए थे। पॉइंट 5140 पर कब्जा करने के दौरान हमने 6 दुश्मनों को मौके पर ही ढेर कर दिया था। उस वक्त वहां जो इमोशन थे, उन्हें शब्दों में बयां करना बहुत ही मुश्किल है।’