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Kargil War 1999: शरीर से खून बह रहा था, फिर भी फहराया जुबार हिल की चोटी पर तिरंगा; जानें इस जवान का अनुभव

Kargil War 1999

Kargil War 1999: 22 ग्रेनेडियर बटालियन के नायक आलिम अली ने कारगिल युद्ध में जुबार हिल पर दुश्मनों से लोहा लिया था। उन्होंने इस युद्ध से जुड़े अपने अनुभवों को साझा किया है।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में कारगिल युद्ध (Kargil War 1999) लड़ा गया था। इस युद्ध में पाकिस्तान को बुरी तरह से शिकस्त का सामना करना पड़ा था। पाकिस्तान को इस युद्ध में भारी नुकसान हुआ था। इस युद्ध में एक-एक जवान ने अहम भूमिका निभाई थी। ऐसे ही एक जवान बनारस के चौबेपुर गांव निवासी आलिम अली थे।

22 ग्रेनेडियर बटालियन के नायक आलिम अली ने कारगिल युद्ध (Kargil War 1999) में जुबार हिल पर दुश्मनों से लोहा लिया था। उन्होंने इस युद्ध से जुड़े अपने अनुभवों को साझा किया है।

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वे बताते हैं कि कैसे दुश्मनों की गोलियां लगने के बाद भी उनका हौसला कम नहीं हुआ था और वह जुबार हिल की चोटी पर तिरंगा फहराने में कामयाब हुए थे। वे बताते हैं, “जुलाई 99 का महीना, 21 हजार फीट की ऊंचाई पर भी हमारी टुकड़ी के जवान पसीने से लथपथ थे। पाकिस्तानी सैनिकों की गोलियां मुझे भी लगी थी जबकि मेरे कुछ साथी मेरी आंखों के सामने ही शहीद हो गए थे।”

अली आगे बताते हैं, “मेरे शरीर से खून बह रहा था। लेकिन मन में सिर्फ जीत का पागलपन सवार था। तीन जुलाई को जैसे ही जुबार हिल पर चढ़ाई का आदेश मिला, मैंने और मेरे साथियों ने इसे हासिल करने की जिद्द कर ली। हम 40 जवान दुश्मनों से मोर्चा लेने निकल पड़े थे।”

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आलिम अली आगे बताते हैं, “ऊंचाई पर बैठा दुश्मन जवानों को निशाना बना रहा था। किसी तरह अपने साथियों के साथ दुश्मनों की निगाह से बचते हुए पाकिस्तानी सेना के बंकर तक पहुंचे और फिर वहां ताबड़तोड़ हमले किए हालांकि इस दौरान मेरे कुछ साथी शहीद हो गए और मुझे भी गोलियां लगीं। पर अंत में हम जुबार हिल की चोटी पर तिरंगा फहराने में कामयाब हुए।”