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हवलदार डोला राम ने कारगिल युद्ध में निभाई थी अहम भूमिका, यहां जानें पूरी कहानी

Kargil War 1999: डोला राम ने दसवीं की परीक्षा राजकीय उच्च विद्यालय नित्थर से पास की थी। बचपन से ही उनमें देश सेवा का जज्बा था। इस जज्बे को उन्होंने पूरा भी किया।

पाकिस्तान के खिलाफ 1999 में लड़े गए कारगिल युद्ध में हवलदार डोला राम ने अहम भूमिका निभाई थी। पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ने में डोला राम का अहम योगदान रहा। वह लड़ते लड़ते शहीद हुए और उनकी बहादुरी की मिसाल आज भी पेश की जाती है। 17 जनवरी, 1965 को कुल्लू जिले के शकरोली गांव में जन्मे डोला राम 1985 में सेना में भर्ती हो गए थे।

उन्हें प्रथम पैराशूटर रेजिमेंट में भर्ती मिली थी। ऑपरेशन रक्षक में सम्मिलित डोला राम ने द्रास सेक्टर में जीवन बलिदान किया था। ऑपरेशन रक्षक के तहत सेना ने कई पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकवादियों को मौत के घाट उतारने में कामयाबी हासिल की थी।

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डोला राम ने दसवीं की परीक्षा राजकीय उच्च विद्यालय नित्थर से पास की थी। बचपन से ही उनमें देश सेवा का जज्बा था। इस जज्बे को उन्होंने पूरा भी किया और भारत मां की रक्षा करते हुए देश प्रेम भी दिखाया। वह तीन जुलाई, 1999 को कारगिल के द्रास सेक्टर में मुठभेड़ में अंतिम सास तक बहादुरी से लड़ते हुए वह वीरगति को प्राप्त हुए थे। वह राष्ट्र विरोधी तत्वों से मुठभेड़ में अंतिम सांस तक बहादुरी से लड़े थे।

वह कारगिल युद्ध में शहीद होने वाले उन 52 हिमाचली जवानों में से एक थे जिन्होंने अपने प्राण भारत मां की रक्षा के लिए न्योछावर किए थे।  हिमाचल के जवानों ने शहादत का ऐसा इतिहास लिखा जो हमेशा याद रखा जाएगा। कारगिल युद्ध जीतने में हिमाचल के सपूतों का बड़ा योगदान रहा है।