Kargil War: इस युद्ध में कैप्टन विक्रम बत्रा (Vikram Batra) ने ऐसा पराक्रम दिखाया था जिसे यादकर आज भी बहादुरी की मिसाल पेश की जाती हैं।
भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में लड़े गए कारगिल युद्ध (Kargil War) में भारतीय सेना (Indian Army) के जवानों ने शानदार प्रदर्शन किया था। भारत मां की रक्षा के लिए हमारे वीर सपूत किसी भी हद तक जा सकते हैं। कारगिल युद्ध में पूरी दुनिया ने ऐसा देखा भी था।
इस युद्ध में कैप्टन विक्रम बत्रा (Vikram Batra) ने ऐसा पराक्रम दिखाया था जिसे यादकर आज भी बहादुरी की मिसाल पेश की जाती हैं। वह सेना के एक ऐसे जवान थे जिन्होंने अपने साथी की जान बचाने के लिए गोली खाई और जंग के मैदान में ही शहीद हो गए थे।
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विक्रम बत्रा की बहादुरी के किस्से आज भी जिंदा हैं। दरअसल, युद्ध के दौरान आतंकियों के भेष में मौजूद पाकिस्तानी सेना से आमने-सामने की लड़ाई जारी थी। पाक सेना और भारतीय सेना की ओर से श्रीनगर-लेह मार्ग के बेहद करीब स्थिति 5140 प्वाइंट पर लगातार गोलीबारी की जा रही थी।
दुश्मन ऊंचाई पर थे और उन्हें भारतीय सैनिकों को टारेगट करना ज्यादा आसान था। बावजूद इसके विक्रम बत्रा और उनके साथी लेफ्टिनेंट नवीन का हौसला डगमगाया नहीं था। 20 जून, 1999 की सुबह करीब 3:30 बजे से पहले लगातार गोलियों की बौछार के बीच लेफ्टिनेंट नवीन के पैर में गोली लग गई थी।
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दुश्मन ने लेफ्टिनेंट नवीन को निशाना बनाते हुए लगातार फायरिंग शुरू कर दी थी। जैसे ही कैप्टन विक्रम बत्रा (Vikram Batra) ने यह देखा तो वह लेफ्टिनेंट नवीन की जान बचाने जुट गए। वे लेफ्टिनेंट नवीन को खींच कर ला ही रहे थे तभी दुश्मन की एक गोली उनके सीने में आ लगी। वह मौके पर शहीद हो गए।