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शहादत को गुजर गए 31 साल, शहीद का परिवार अब भी लगा रहा सरकारी दफ्तरों के चक्कर

श्रीलंका में शहीद हुए भारतीय जवान शहीद फेदलिस एक्का का परिवार हो रहा प्रशासन की उपेक्षा का शिकार

देश के लिए अपनी जान न्योछावर करने वाले एक वीर शहीद का परिवार सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहा है। पर उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। इस जांबाज की शहादत को 31 साल गुजर गए पर प्रशासन अब तक आश्वासन से आगे नहीं बढ़ पाया है। हम बात कर रहे हैं 31 साल पहले श्रीलंका में शहीद हुए भारतीय जवान शहीद फेदलिस एक्का की। झारखंड के गुमला के रहने वाले एक्का का परिवार सालों से प्रशासन की उपेक्षा का शिकार हो रहा है। अब तक प्रशासन ने शहीद के परिवार की सुध नहीं ली है। न ही किसी प्रकार की सरकारी सुविधा मुहैया करायी गयी है।

शहीद फेदलिस एक्का की बेटी पालकोट प्रखंड के देवगांव की रहने वाली बसंती एक्का ने 16 जुलाई को एक बार फिर जनता दरबार में डीसी के समक्ष गुहार लगाई। शहीद की बेटी ने परिवार को सरकारी सुविधा मुहैया कराने की मांग की है। बसंती ने इस संबंध में डीसी को आवेदन दिया है। बसंती के मुताबिक, उनके पिता फेदलिस एक्का भारतीय जवान थे। वे 31 साल पहले श्रीलंका में शहीद हो गये थे। लेकिन आज तक शहीद के आश्रितों को किसी प्रकार की सरकारी सहायता नहीं मिल पाई है।

साल 2018 के नवंबर में जब शहीद फेदलिस एक्का का मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं बन रहा था, तब भी शहीद की पत्नी और बेटी को काफी परेशानी उठानी पड़ी थी। प्रमाण पत्र बनवाने के लिए उन लोगों को तब कई बार जनता दरबार के चक्कर काटने पड़े थे। लेकिन प्रशासन ने इस परिवार की सुध नहीं ली। काफी मशक्कत के बाद गुमला डीसी ने पालकोट बीडीओ को आदेश देकर प्रमाण पत्र बनवाया था। बसंती के अनुसार, पिता का मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के दौरान प्रशासन ने आवास और शौचालय की सुविधा मुहैया कराने और सरकारी नौकरी दिलाने का आश्वासन भी दिया था। जो अब तक पूरा नहीं किया गया है।

बसंती स्टाफ नर्स का ट्रेनिंग कर चुकी हैं। यदि नौकरी मिल जाती है तो घर-परिवार के भरण-पोषण में सुविधा होगी। उल्लेखनीय है कि गुमला के पालकोट प्रखंड के देवगांव बड़काटोली गांव के रहने वाले फेदलिस एक्का 1987 में शांति वार्ता के लिए श्रीलंका गये थे। जहां लिट्टे से युद्ध के दौरान वे शहीद हो गए थे। श्रीलंका के पेरियाविलम में अक्टूबर, 1987 को युद्ध हुआ था। युद्ध के दौरान फेदलिस को गोली लगी थी। उस समय शव को भारत लाना मुश्किल था। जिसकी वजह से फेदलिस का अंतिम संस्कार वहीं कर दिया गया था।

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