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खून के प्यासे शख्स को अपना खून देकर CRPF जवान ने ज़िंदा की इंसानियत की मिसाल

नक्सली को ब्लड डोनेट करते CRPF जवान राजकमल

आज के दौर में जहां दोस्त, दोस्त का सगा नहीं होता, भाई का भाई से बैर है। वहीं सीआरपीएफ (CRPF) के एक जवान ने अपने जानी दुश्मन नक्सली को खून देकर ना सिर्फ उसकी जान बचाई बल्कि इंसानियत की एक बेहतरीन मिसाल भी पेश की है।

सीआरपीएफ की 133वीं बटालियन के कॉन्सटेबल राजकमल ने रांची के रिम्स हॉस्पिटल में भर्ती एक नक्सली को रक्तदान करके उसकी ज़िंदगी बचाई। ध्यान देने वाली बात है कि ये नक्सली घायल होने से कुछ देर पहले सुरक्षाबलों पर ही गोलियां बरसा रहा था। जब नक्सली घायल हो गया तो इसके साथी इसे छोड़कर भाग गए। फिर घायल नक्सली को सुरक्षाबल के जवानों ने रांची के रिम्स अस्पताल में लाकर भर्ती कराया ताकि इसकी जान बचाई जा सके।

घटना 29 जनवरी, 2019 की है, जब झारखंड के खूंटी जिले में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच खूनी झड़प हुई थी। सीआरपीएफ की 209-कोबरा बटालियन और नक्सलियों के बीच फायरिंग में पांच नक्सली मारे गए जबकि दो घायल हो गए थे। जिसमें से एक घायल नक्सली का नाम सोमोपूर्ति है।

सोमोपूर्ति अपने साथी मृत नक्सली को उठाकर साथ ले जाना चाहता था, इसी दौरान सोमोपूर्ति को गोली लग गई। सोमोपूर्ति को इलाज के लिए रांची के राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में भर्ती किया गया। जख्मी हालत में भर्ती नक्सली को खून की सख़्त जरूरत थी, डॉक्टरों ने बताया कि अगर इसे तत्काल खून नहीं चढ़ाया गया तो इसकी मौत हो सकती है।

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तब सीआरपीएफ के कॉन्सटेबल राजकमल उस नक्सली की जान बचाने के लिए ब्लड डोनेट करने के लिए तैयार हो गए। फिलहाल, नक्सली सोमोपूर्ति की हालत अब खतरे से बाहर बताई जा रही है। राजकमल की इस मानवता प्रेम से प्रभावित होकर इन्हें सम्मानित भी किया गया।

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। पहले भी ऐसी घटनाएं सामने आ चुकी हैं जहां सुरक्षाबल के जवानों ने नक्सलियों की जान बचाई। पिछले साल मंजू नाम की एक महिला नक्सली जब ज़ख़्मी हुई थी तो गुलजार नाम के एक कॉन्सटेबल ने रक्तदान करके उसकी जान बचाई थी।

दिक्कत ये है कि फिर भी ये नक्सली अपनों के ही खून के प्यासे बने बैठे हैं। उम्मीद करते हैं कि किसी दिन इन्हें भी इंसानियत की समझ आ जाएगी। फिर ये भी नफरत और दहशत का रास्ता छोड़ प्यार और इंसानियत की भाषा बोलने लगेंगे।