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India Pakistan War 1965: युद्ध में सैनिक रामनारायण गावशिंदे का ऐसा था अनुभव, जानें उनकी कहानी

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India Pakistan War 1965: युद्ध में सैनिक रामनारायण गावशिंदे (84) ने भी हिस्सा लिया था। वे अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी बहादुरी की मिसाल आज भी दी जाती है।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 में भीषण युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में पाकिस्तान को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि पाकिस्तान कहता है कि इस युद्ध में उसका पलड़ा भारी रहा था। पाकिस्तान हमेशा से झूठ बोलने में माहिर रहा है।

इस युद्ध में सैनिक रामनारायण गावशिंदे (84) ने भी हिस्सा लिया था। वे अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी बहादुरी की मिसाल आज भी दी जाती है। युद्ध में लगातार सात दिन तक भूखे रहने के बावजूद उन्होंने दुश्मनों का डटकर सामना किया था।

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उन दिनों सेना की सिग्नल कोर में तैनात रामनारायण गावशिंदे पाकिस्तान की नेफा बॉर्डर पर ठंड के दिनों में एक ही जगह रहकर लगातार 7 दिन बिना खाए-पीए लड़े थे। जैसे ही युद्ध विराम की घोषणा हुई गावशिंदे को उनकी बहादुरी के लिए सेवा मेडल से सम्मानित भी किया गया था।

उनके बेटे आशीष गावशिंदे के मुताबिक, सिग्नल कोर जबलपुर हेड क्वार्टर में पापा पदस्थ थे। जैसे ही 1965 में पाकिस्तान के साथ जंग का ऐलान हुआ तो इसके साथ ही उनकी बटालियन को भी बुलावा आ गया था। हालांकि, उनकी बटालियन को बैकअप फोर्स के तौर पर बुलाया गया था।

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युद्ध (India Pakistan War 1965) शुरू होते ही उनकी बटालियन को कश्मीर के पश्चिमी क्षेत्र नेफा बॉर्डर पर तैनाती दी गई थी। जब उनकी बटालियन का सामना पाकिस्तानी सैनिकों से हुआ तो हमारे जवानों ने दुश्मनों को बुरी तरह से खदेड़ दिया था। इस दौरान उनकी बटालियन के 10-12 जवान घायल हो गए थे।