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कर्नल शेर खां: पाकिस्तान सेना का वो जवान जिसे भारत की सिफारिश पर मिला सैन्य सम्मान! जानें कैसे

पाकिस्तानी सेना के कैप्टन कर्नल शेर खां युद्ध में मारे गए थे।

Kargil War 1999: लड़ाई को कमांड कर रहे ब्रिगेडियर एमएस बाजवा के मुताबिक, टाइगर हिल पर चौकियों को कब्जाने गई 8 सिख और 18 ग्रेनेडियर्स के जवानों को शेर खां ने ने कड़ी चुनौती दी  थी।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में कारगिल का युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सैनिकों को धूल चटा दी थी। भारतीय सेना का लोहा इस युद्ध में पाकिस्तान के साथ-साथ पूरी दुनिया ने माना था। वहीं पाकिस्तान के एक सैनिक का लोहा भारत ने भी माना था। इस योद्धा का नाम कर्नल शेर खां था।

भारत की सिफारिश पर ही पाकिस्तान ने अपने इस सैनिक को सर्वोच्च सैन्य सम्मान निशान-ए-हैदर से नवाजा था। युद्ध में टाइगर हिल के मोर्चे पर पाकिस्तानी सेना के कैप्टन कर्नल शेर खां ने बहादुरी से लड़ाई लड़ी थी।

लड़ाई को कमांड कर रहे ब्रिगेडियर एमएस बाजवा के मुताबिक, टाइगर हिल पर चौकियों को कब्जाने गई 8 सिख और 18 ग्रेनेडियर्स के जवानों को शेर खां ने कड़ी चुनौती दी  थी। किसी तरह पांच महत्वपूर्ण चौकियों में से एक पर कब्जा किया गया था लेकिन इसके बाद शेर खां ने अपनी टुकड़ी के साथ हम पर हमला बोल दिया था।’

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वह बताते हैं ‘पाकिस्तान सेना के अन्य जवान कुर्ते पजामे में थे लेकिन शेर खां ट्रेक सूट में थे। वह लंबा चौड़ा था। उनकी लीडरशिप में पहला हमला विफल साबित हुआ तो दूसरा हमला और ताकत के साथ किया गया था। वह हार न मानकर बार-बार अपनी बहादुरी का परिचय दे रहे थे।’

एमएस बाजवा आगे बताते हैं ‘हमने इस ऑपरेशन में 30 पाकिस्तानी सैनिकों को ढेर कर दिया था जिसमें से एक शेर खां भी थे। बाकी शवों को दफना दिया गया जबकि शेर खां का शव ब्रिगेड हेडक्वार्टर में रखा। इसके बाद मैंने उनकी जेब में एक लेटर लिखकर डाल दिया। जिसमें मैंने लिखा था कि शेर खां बेहद बहादुरी के साथ लड़े। ऐसे में उन्हें इसका पूरा सम्मान मिलना चाहिए।’

इसके बाद जब शव पाकिस्तान को सौंपा गया तो वह लेटर उनकी सेना ने पढ़ा। इसके बाद उन्हें सर्वोच्च सम्मान से नवाजा गया। यानी कि एक भारतीय सैनिक की मदद से दुश्मन देश के शहीद सैनिक को सम्मान मिला। ऐसा बहुत कम ही देखने को मिलता है।