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Captain Sandeep Shankla: जांबाजी की वह दास्तां जो बन गई मिसाल, आज ही के दिन हुई थी शहादत

Captain Sandeep Shankla

कैप्टन संदीप सांखला (Captain Sandeep Shankla) 8 अगस्त, 1991 को जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा के जफरखान गांव में आतंकवादियों (Terrorists) से लोहा लेते हुए देश के लिए शहीद हो गए थे। उन्होंने आर्मी में 5 साल तक सेवा दी। मेजर संदीप ने उस दौरान 9 आतंकवादियों को मार गिराया था। उनकी इस शहादत को कभी भुलाया नहीं जा सकता। भारत के राष्ट्रपति (President of India) की ओर से उन्हें मरणोपरांत 26 जनवरी, 1992 को ‘अशोक चक्र’ (Ashoka Chakra) से सम्मानित किया गया।

कैप्टन संदीप सांखला (Captain Sandeep Shankla) हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर के रहने वाले थे। उनके पिता भी सेना (Indian Army) थे। पिता का नाम लेफ्टिनेंट कर्नल जेएस कंवर और मां का नाम मंजू कंवर है। कैप्टन संदीप सांखला बचपन से ही पिता की तरह आर्मी में जाना चाहते थे। 14 जून, 1986 को उनका सपना पूरा हुआ, वे भारतीय सेना की 18 डोगरा रेजीमेंट में कमीशंड हुए।

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साल 1991 में कैप्टन संदीप सांखला की युनिट 18 डोगरा रेजीमेंट जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में तैनात की गई। 8 अगस्त, 1991 को कैप्टन संदीप सांखला को कुपवाड़ा के जफरखान गांव में आतंकियों की मौजूदगी की खबर मिली। कैप्टन सांखला (Captain Sandeep Shankla) की अगुआई में जवानों ने आतंकियों के खात्मा करने के लिए एक ऑपरेशन लॉन्च किया।

कैप्टन अपने साथी जवानों के साथ उस जगह पर पहुंचे जहां आतंकियों की मौजूदगी की सूचना मिली थी। जवानों ने इलाके को घेर कर तलाशी शुरू की। खुद को घिरता हुआ देख आतंकियों ने जवानों पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसानी शुरू कर दी। हमारे जांबाजों ने भी मोर्चा संभाल लिया। दोनों ओर से भारी गोलीबारी होने लगी।

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इस भयंकर फायरिंग के बीच एक जवान को आतंकियों की गोली लग गई। वह घायल होकर गिर पड़ा। कैप्टन सांखला (Captain Sandeep Shankla) ने अपने साथी जवान की जान जोखिम में पड़ते देखा तो उनसे रहा नहीं गया। आतंकियों की फायरिंग के बीच रेंगकर वे आगे बढ़े और घायल जवान को सुरक्षित स्थान पर ले आए। उन्होंने अपनी जान हथेली पर रख, अपने साथी जवान की जान बचाई। इस दौरान उन्होंने एक आतंकी को मार गिराया।

पर इस बीच आतंकियों ने उनपर दो ग्रेनेड फेंक दिए। उस वक्त अदम्य साहस का परिचय देते हुए कैप्टन ने एक ग्रेनेड को वापस आतंकियों की ओर फेंक दिया। हालांकि, इस दौरान वे आतंकियों की गोली से बुरी तरह जख्मी हो गए। जब तक होश रहा, यह जांबाज आतंकियों से लड़ता रहा और आखिर में भारत भूमि की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुआ।

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कैप्टन संदीप सांखला (Captain Sandeep Shankla) की जांबाजी का नतीजा था कि हमारे जवानों ने 9 आतंकियों को मार गिराया। साथ ही 22 आतंकियों को पकड़ लिया गया। उस वक्त उनकी उम्र 27 साल थी, महज 6 महीने पहले ही उनकी शादी हुई थी और इस वीर ने देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी। भारत भूमि कैप्टन संदीप सांखला का यह बलिदान सदियों याद रखेगी।