
फाइल फोटो
युद्ध की वजह थी 13 अगस्त, 1967 को नाथू ला में भारतीय सीमा से सटे इलाके में चीनी द्वारा गड्ढों की खुदाई। 11 सितंबर, 1967 को चीन की पीएलए के सैनिकों ने नाथू ला में भारतीय सेना की चौकियों पर हमला कर दिया था।
भारत और चीन के बीच 1962 में जंग लड़ी गई थी। इस युद्ध में भारत को शर्मनाक हार मिली थी। हार की कई वजहें थीं। चीनी सेना का ज्यादा ताकतवर होना भी इनमें से एक था। इस युद्ध को यादकर हर भारतीय का दिल टूट सा जाता है। सीमा विवाद इतना बढ़ गया था कि हमारी सेना को युद्ध तक लड़ना पड़ा था। चीन इस युद्ध में पूरी तैयारी के साथ आया था जबकि भारतीय सेना की तैयारी दुश्मन देश के मुकाबले कम थी।
सेना के पास न तो हथियार थे और न ही माइनस 30 डिग्री जैसे कड़ाके की ठंड के लिए कपड़े और जूते। 1962 के बाद 1967 में भारत ने चीन को पटखनी दी थी। चीनी सेना को कड़ी चुनौती दी गई थी। युद्ध की वजह थी 13 अगस्त, 1967 को नाथू ला में भारतीय सीमा से सटे इलाके में चीनी द्वारा गड्ढों की खुदाई। 11 सितंबर 1967 को चीन की पीएलए के सैनिकों ने नाथू ला में भारतीय सेना की चौकियों पर हमला कर दिया था।
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यह जगह तिब्बत से सटी हुई है। भारत ने इसका करारा जवाब दिया था। सेना ने तोपों से हमला बोल दिया था। सेना ने इतना जबरदस्त हमला किया था जिसमें दुश्मन देश के करीब 400 सैनिक मारे गए थे। भारत के सिर्फ 90 सैनिक शहीद हुए थे। चीनी सेना को उस समय भारतीय सेना ने 20 किलोमीटर पीछे धकेल दिया था। हमारी आर्मी ने नाथू ला बॉर्डर को हासिल करने में सफलता हासिल की थी।
गौरतलब है कि चीन हमेशा से विस्तारवादी की नीति पर फोकस करता रहा है। किसी दूसरे देश की जमीन को अपना बताकर सेना के दम पर वह जबरन जमीन छीनता है। अपनी आर्मी के दम पर वह अबतक ऐसा कई बार कर चुका है। कई मौकों पर वह भारत की जमीन को अपनी जमीन कहकर दावा ठोकता रहा है। लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर वह कई बार भारतीय सैनिकों को उकसा चुका है। लेकिन 1962 से अब तक, हालात बहुत बदल चुके हैं। अब चीन को उसी की भाषा में जवाब दिया जाता है।
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