Hindi News (हिंदी समाचार), News in Hindi, Latest News In Hindi

1962 की लड़ाई में युद्धबंदी रहे वीर सपूत बलवंत सिंह बिष्ट का ऐसा था अनुभव, चीन को भस्म करने की है चाह

बलवंत सिंह बिष्ट।

Indo China War 1962: साल 1962 की जंग में गढ़वाल राइफल की चौथी बटालियन में बलवंत सिंह बिष्ट (Balwant Sighh Bisht) लांसनायक रहे थे। वे युद्ध के दौरान चीन से नेफा में दो-दो हाथ कर चुके हैं।

भारत और चीन के बीच 1962 में भीषण युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में चीन के खिलाफ भारतीय वीर सपूतों ने जीत के लिए पूरी मेहनत की थी लेकिन हार नसीब हुई थी। हार की वजह थी, भारतीय सेना (Indian Army) का अधूरी तैयारी के साथ जंग के मैदान में उतरना।

इस युद्ध में उत्तराखंड के गोपेश्वर के रहने वाले बलवंत सिंह बिष्ट (Balwant Sighh Bisht) ने भी हिस्सा लिया था। वे इस लड़ाई में युद्धबंदी रहे थे। 82 साल के बलवंत सिंह बिष्ट ने युद्ध के दिनों को याद करते हुए अपना अनुभव साझा किया है। वे साल 1962 में गढ़वाल राइफल की चौथी बटालियन में लांसनायक रहे थे। वे युद्ध के दौरान चीन से नेफा में दो-दो हाथ कर चुके हैं।

Indian Navy Day: 7 दिनों तक नहीं बुझी थी कराची तेल डिपो में लगी आग, जानें क्यों मनाते हैं नौसेना दिवस

बलवंत सिंह बिष्ट (Balwant Sighh Bisht) कहते हैं, “मैं उन दिनों महावीर चक्र विजेता जसवंत सिंह रावत के साथ तैनात था। मैं चीनी सेना से लड़ने के लिए उन दिनों चीनी सीमा पर डटा हुआ था। हमारे पास हथियारोंं की कमी थी। इसके साथ ही अन्य संसाधनों की भी कमी थी।”

ये भी देखें-

bs

वे बताते हैं, “कंधे पर हथियार लादकर व भोजन आदि सामग्री भी अग्रिम पोस्टों तक खुद ही ले जानी पड़ती थी। युद्ध के दौरान एक वक्त ऐसा आया था जब एक महीने बाद सीजफायर होने के बाद मुझ सहित चार हजार सैनिकों को चाइनीज आर्मी द्वारा बंदी बना लिया गया था। हालांकि, इस दौरान हमारी सेना ने भी चीन के कुछ सैनिकों को बंदी बना लिया था। इसके बाद हमें चीनी सेना द्वारा छोड़ दिया गया था। चीन के साथ आज भी सीमा विवाद है और वह विश्वासघात करता है। मैं चीन को भस्म करना चाहता हूं।”