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16 साल की उम्र में सेना में हुए थे भर्ती और फिर जीता ‘परमवीर चक्र’, पिता ने भी लड़ी थी 1965 और 71  की जंग

परमवीर चक्र सुबेदार मेजर योगेंद्र सिंह यादव।

Kargil War 1999: इस युद्ध में एक जवान ऐसे भी थे जिन्होंने महज 21 साल की उम्र में सबसे बड़े सैन्य सम्मान यानी परमवीर चक्र को अपने नाम किया था। अगर कारगिल युद्ध का नाम लिया जाता है तो परमवीर चक्र विजेता सूबेदार योगेंद्र सिंह यादव का नाम पहले आता है।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में कारगिल युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में भारतीय सेना का पराक्रम देखने को मिला था। सेना ने हर मोर्चे पर पाकिस्तानी सैनिकों को धूल चटाई थी। भारतीय सेना के करीब 1300 जवान घायल हुए थे। करीब 60 दिन चली इस लड़ाई में हमारे 527 जवान शहीद हुए। 26 जुलाई के दिन हर साल कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।

इस युद्ध में एक जवान ऐसे भी थे जिन्होंने महज 21 साल की उम्र में सबसे बड़े सैन्य सम्मान यानी परमवीर चक्र को अपने नाम किया था। अगर कारगिल (Kargil) युद्ध का नाम लिया जाता है तो परमवीर चक्र विजेता सूबेदार योगेंद्र सिंह यादव का नाम पहले आता है। उन्होंने युद्ध में दुश्मनों को चकमा देकर बहादुरी की ऐसी मिसाल पेश की थी जिसे आज भी याद किया जाता है। उन्होंने सब्र से काम लेते हुए दुश्मनों से घिरे होने के बावजूद साहस का परिचय दिया था।

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वे युद्ध के दिनों को याद करते हुए बताते हैं कि ‘करीब 17 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित टाइगर हिल दुश्मन के कब्जे में थी। हमें इससे कब्जा हटाने की जिम्मेदारी दी गई थी थी। फायरिंग और ग्रेनेड दागते हुए पाकिस्तानी सेना के जवान हमारे करीब आ गए और पलभर में मेरे साथी जवान शहीद हो गए। इस दौरान मैं भी मरने का नाटक करने लगा। दुश्मन ने मुझे हाथ पर गोली मारी लेकिन मैंने कुछ भी रिएक्शन नहीं दिया और चुपचाप दर्द सहन करता रहा। इसके बाद उनके एक सैनिक ने मुझे सीने पर गोली मारी लेकिन मेरी पॉकेट में रखे सिक्कों से वो गोली टकरा गई और मैं जिंदा रहा। ‘

योगेंद्र यादव को सिर्फ 21 साल की उम्र में ही यह सम्मान हासिल हुआ है। बता दें कि उनके पिता  करण सिंह यादव भी भारतीय सेना में थे और उन्होंने 1965 और 1971 की जंग लड़ी थी। पिता को देखकर ही सेना में भर्ती होने का जज्बा उनमें भी आया।