साल 1964 से 1969 तक अर्जन सिंह (Arjan Singh) ने वायु सेना (Indian Air Force) प्रमुख का पद संभाला था। उनके कार्यकाल में ही पाकिस्तान के खिलाफ भारत ने ताबड़तोड़ प्रदर्शन कर 1965 की जंग में जीत हासिल की थी।
भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 में युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में थल सेना (Indian Army) की जितनी अहम भूमिका रही थी उतनी है वायु सेना (Indian Air Force) की भी रही थी। दुनिया में बहुत कम वायु सेना अध्यक्ष होंगे जिन्होंने मात्र 40 साल की उम्र में ये पद संभाला हो और सिर्फ 45 साल की उम्र में ‘रिटायर’ हो गए हों।
साल 1964 से 1969 तक अर्जन सिंह (Arjan Singh) ने वायु सेना प्रमुख का पद संभाला था। उनके कार्यकाल में ही पाकिस्तान के खिलाफ भारत ने ताबड़तोड़ प्रदर्शन कर 1965 की जंग में जीत हासिल की थी। अर्जन सिंह एक सच्चे नेता और बहादुरी के प्रतीक थे। वे वायु सेना के इकलौते अफसर थे जिनको फील्ड मार्शल के बराबर फाइव स्टार रैंक मिली थी। वे महज 19 साल की उम्र में पायलट ट्रेनिंग के लिए चुने गए थे।
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16 सितंबर, 2017 को 98 साल की उम्र में उन्होंने आखिरी सांस ली थी। बताया जाता है कि 1965 की जंग के दौरान वे पाकिस्तान जाकर बम बरसाना चाहते थे। 1965 की इस जंग पर पाकिस्तान की हार और युद्ध विराम पर उन्होंने कहा था, “मुझे इस बात का अफसोस भी है कि जब हम 1965 का युद्ध जीत चुके थे और पाकिस्तान को तबाह करने की स्थिति में थे, तभी युद्ध विराम हो गया।”
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दरसअसल, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने कश्मीर हड़पने के लिए ऑपरेशन जिब्राल्टर की साजिश रची थी। दुश्मनों ने 8 सितंबर, 1965 को खेमकरण सेक्टर के उसल उताड़ गांव पर धावा बोल दिया। ये हमला पैदल सैन्य टुकड़ी और पैटन टैंक के साथ किया गया था। लेकिन वायु सेना और थल सेना ने दुश्मनों के इन सभी प्लान को धवस्त कर जीत हासिल की थी।