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जन्मदिन के दिन घर पहुंचा जवान का तिरंगे में लिपटा शव

31 मई की देर शाम सर्च ऑपरेशन के दौरान मैरानी जोराट में अमित को गोली लगी। उपचार के दौरान वीरगति को प्राप्त हो गए।

3 जून को अमित का जन्मदिन था। आगरा के वीर सपूत अमित चतुर्वेदी के परिवार के लिए यह दिन खुशियों वाला होता है। लेकिन देश की रक्षा में अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले अमित का 3 जून को अंतिम संस्कार किया गया। एक साल के भतीजे ने शहीद को मुखाग्नि दी। परिवार को सांत्वना देने के लिए वहां आए लोगों की आंखों में आंसू थे। शहीद अमित के पिता रिटायर सूबेदार रामवीर चतुर्वेदी ने बताया कि 31 मई की रात को अमित से फोन पर बात हुई थी। उसने जन्मदिन पर गांव आने के लिए रिजर्वेशन कराने की बात कही थी।

अपने जन्मदिन पर अमित घर आने का प्लान बना रहे थे। वह पूरे परिवार के साथ इस दिन खुशियां मनाना चाहते थे। मगर, 3 जून की सुबह इस बहादुर बेटे का पार्थिक शरीर तिरंगे में लिपटकर लाया। कागारौल के गांव बीसलपुर के रहने वाले अमित चतुर्वेदी के परिवार के लिए 25 साल पहले 3 जून की तारीख खुशियां लेकर आई थी। 3 जून 1994 को जुड़वा बेटे अमित और अरूण का जन्म हुआ था। लेकिन यह तारीख परिवार को गम दे गई। 25 वर्षीय अमित चतुर्वेदी सेना में सिपाही के पद पर इन दिनों असम में तैनात थे।

31 मई की देर शाम सर्च ऑपरेशन के दौरान मैरानी जोराट में उन्हें गोली लगी। उपचार के दौरान वीरगति को प्राप्त हो गए। गांव में पार्थिव शरीर पहुंचते ही भारत माता के जयकारे गूंज उठे। हर आंख नम थी। युवाओं ने तिरंगा लहराकर अमित चतुर्वेदी की शहादत को सलाम किया। शहीद अमित चतुर्वेदी को अंतिम विदाई देने जनसैलाब उमड़ा। अंतिम यात्रा में वीर सपूत पर फूलों बरसाते और भारत माता के नारे लगाते हुए लोग चल रहे थे। जब अंत्येष्टि स्थल पर एक साल के भतीजे ने शहीद अमित को मुखाग्नि दी तो सबकी आंखें छलक पड़ीं।

शहीद अमित चतुर्वेदी के दो और भाई हैं। बड़े भाई सुमित और अमित के जुड़वा भाई हैं अरुण। दोनों भाई भी फौज में हैं। सुमित इन दिनों लद्दाख में तैनात है। अमित असोम में थे। जुड़वा भाई अरुण की तैनाती देहरादून में है। पिता को बहादुर बेटे अमित को खोने का गम है लेकिन उसकी शहादत पर गर्व भी है। सात दिन पहले ही अमति की शादी तय हुई थी। घर में खुशी का माहौल था, लेकिन अब पूरे गांव में गमगीन माहौल हो गया है।

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