लद्दाख में चीनी सैनिकों के साथ झड़प में शहीद हुए सैनिक गुरतेज सिंह का पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। वो मानसा के गांव बीरेवाला डोगरा के रहने वाले थे। उन्हें पिता और बड़े भाई ने मुखाग्नि दी। महज 23 साल की उम्र में देश पर अपनी जान लुटाने वाले गुरतेज तीन भाइयों में सबसे छोटे थे। वो करीब 2 साल पहले सेना में भर्ती हुए थे। सेना में ट्रेनिंग के बाद सिख रेजिमेंट में पहली बार लेह-लद्दाख में उनकी ड्यूटी लगी थी। शहीद गुरतेज सिंह के पिता विरसा सिंह और माता प्रकाश कौर ने बताया कि गुरतेज सिंह के शहीद होने की खबर उन्हें 17 जून को सुबह 5 बजे फोन पर मिली थी। उनका कहना है कि फौज में भर्ती होना गुरतेज का बचपन का सपना था। गुरतेज की शहादत पर उनके परिवार और गांव वालों को गर्व है।