हिज्बुल मुजाहिदीन के मुठभेड़ में ढेर हुए आतंकी कमांडर रियाज नायकू के बाद जो भी आतंकी कमांडर बचे हैं‚ उन सभी को हमेशा के लिए सुला देने की पटकथा पर काम जारी है। ऑपरेशन जैक बूट (Operation Jackboot) जो राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के दिमाग की उपज है‚ पर घाटी की सभी सुरक्षा व खुफिया एजेंसियां काम पर लगी हैं। सूत्रों का कहना है कि घाटी में मौजूदा वक्त में हिज्बुल मुजाहिदीन के दो बड़े चेहरे डॉ. सैफुल्ला मीर व जुनैद सहरई के अलावा अंसार गजवा कुल हिंद का आतंकी कमांडर खालिद इब्राहिम‚ लश्कर–ए–तय्यबा का आतंकी कमांडर सलीम परे तथा अल बदर का आतंकी कमांडर जावेद मट्टू समेत कई आतंकी कमांडर ऑपरेशन जैक बूट (Operation Jackboot) के तहत रडार पर हैं।
हिज्बुल मुजाहिदीन के नए ऑपरेशन कमांडर बने डॉ सैफुल्ला मीर के अलावा दूसरा नाम जुनैद सहरई का है‚ जो अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के संगठन तहरीक–ए–हुर्रियत के प्रमुख अशरफ सहरई का बेटा है। उसने दो साल पहले आतंकवाद की राह को चुना था। इसके बाद वह कई आतंकी गतिविधियों में संलिप्त होता चला गया।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने ऑपरेशन जैक बूट (Operation Jackboot) जो ऑपरेशन ऑल-आउट का ही एक हिस्सा बताया जाता है‚ की बुनियाद तब रखी जब दक्षिण कश्मीर के चार जिलों पुलवामा‚ पुलगाम‚ अनंतगाम तथा शोपियां को आतंकवाद का एक बड़ा गढ़ बनने तथा आतंकियों (Militants) द्वारा उसे एक आजाद क्षेत्र घोषित किए जाने के बाद किया गया।
अब तक जम्मू–कश्मीर में आतंकियों (Militants) के खिलाफ कई विशेष अभियान चलाए जाते रहे हैं। सन् 2013 में पुंछ की नियंत्रण रेखा के सूरनकोट के उच्च दुर्गम पहाडी इलाके हिलकाका में आतंकियों (Militants) ने बड़ी संख्या में बंकर व भारी हथियारों का जमावडा कर रखा था। जहां सुरक्षाबलों का पहुंचना बेहद मुश्किल था‚ फिर भी तब सेना ने ऑपरेशन सर्प विनाश चलाया‚ जो कि 29 जनवरी से मई तक चार से पांच चरणों तक चला और उस दौरान लश्कर–ए–तय्यब‚ जैश–ए–मोहम्मद तथा अन्य आतंकी तंजीमों के करीब 65 आतंकी मारे गए थे। बड़ी संख्या में पकड़े भी गए।