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सूरत बदलने की कोशिश में जुटा प्रशासन, ताकि कोई और नक्सली ना बने

आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों की बेटियों का कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में नामांकन

जो नक्सली प्रशासन के दुश्मन बने बैठे हैं, उन्हीं की जिंदगी को बेहतर बनाने और उनको मुख्य धारा से जोड़ने के लिए प्रशासन हर संभव कोशिश कर रहा है। जो सरेंडर कर चुके हैं उनके पुनर्वास के लिए तो प्रशासन मदद करता ही है, जो मारे गए हैं, उनके परिवार और बच्चों की जिम्मेदारी भी पुलिस और प्रशासन उठा रहा है। ऐसी ही एक घटना है नक्सल प्रभावित झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले की। जिले के गुड़ाबांदा प्रखंड के जियान गांव के दो नक्सलियों की बच्चियों का भविष्य संवारने के लिए प्रशासन ने उनका स्कूल में दाखिला कराया। गुड़ाबांदा प्रखंड की बीडीओ सीमा कुमारी ने 5 जुलाई को कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय में दो बच्चियों अमीशा सिंह और सबेरा मुंडा का नामांकन कराया।

अमीशा सिंह सरेंडर करने वाले पूर्व नक्सली जियान गांव के स्कूल टोला निवासी भुगलू सिंह की बेटी है। भुगलू ने फरवरी में नक्सली विचारधारा को त्यागकर आत्मसमर्पण कर दिया था। वहीं, सबेरा मुंडा मारे गए संदिग्ध नक्सली संजीव मुंडा की बेटी है। इन दोनों बच्चियों का क्लास 6 में नामांकन कराया गया। अमीशा और सबेरा, दोनों ने जियान प्राथमिक विद्यालय में वर्ग पांच तक पढ़ाई की है। परिवार की आर्थिक स्थिति बदहाल होने के कारण इन दोनों ने पढ़ाई छोड़ दिया था। इस मामले में पुलिस के वरीय पदाधिकारियों से परिजनों ने संपर्क कर गुहार लगाया था। इनकी स्थिति जानने के बाद पुलिस अधिकारियों ने बच्चियों की आगे की पढ़ाई के लिए परिजनों को भरोसा दिलाया था।

जिला प्रशासन ने भी आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के परिजनों और बच्चियों से पूरी मदद करने का वादा किया था। इसी सिलसिले में बीडीओ सीमा कुमारी ने पहले गुड़ाबांदा के अर्जुनबेड़ा स्थित बालिका आश्रम आवासीय विद्यालय दोनों बच्चियों के नामांकन के लिए प्रयास किया था। पर किन्हीं कारणों की वजह से वहां नामांकन नहीं हो पाया। उसके बाद बीडीओ ने कस्तूरबा विद्यालय में अमीशी और सबेरा का नामांकन कराया। अब ये दोनों बच्चियां वहां रह कर आगे की पढ़ाई करेंगी और अपना आने वाला कल संवारेंगी।

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