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छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में अनोखा स्कूल, पुराने ‘खूंखार नक्सली’ हैं यहां स्टूडेंट

सरेंडर कर चुके नक्सलियों की पढ़ाई के लिए खुला स्कूल। सांकेतिक तस्वीर।

छत्तीसगढ़ में बदलाव की बयार बहने लगी है। इसका असर भी देखने को मिल रहा है। हुआ ये है कि कल तक बंदूक उठाने वाले तमाम नक्सलियों (Naxalites) ने अब कलम उठा लिया है। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले में पुलिस ने एक स्पेशल स्कूल खोला है। यह स्कूल आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों (Naxalites) के लिए है। इस स्कूल में फिलहाल 300 से ज्यादा नक्सली पढ़ाई कर रहे हैं।

नारायणपुर के एसपी मोहित गर्ग के मुताबिक, यह स्कूल एक महीने पहले खोला गया। इसमें कुल 3 टीचर हैं जो सरेंडर कर चुके 300 नक्सलियों (Naxalites) को पढ़ाते हैं। वहां पढ़ाई कर रहे सभी आत्मसमर्पित नक्सली (Naxalites) अब पुलिस फोर्स का हिस्सा हैं। उन्होंने बताया कि स्कूल खोलने का मकसद शिक्षा के जरिए इन लोगों का आत्म विश्वास बढ़ाना है, जिससे ये बाहर की दुनिया से जुड़ सकें।

पुलिस अधीक्षक के मुताबिक, सरेंडर करने वाले ज्यादातर नक्सली इसलिए नहीं पढ़ पाए क्योंकि माओवादियों ने उनके स्कूल ध्वस्त कर दिए। ऐसे भी कई नक्सली हैं जिन्हें नक्सवाद से जुड़ने के लिए स्कूल छोड़ना पड़ा। पुलिस फोर्स में शामिल होने के बाद उन्होंने पढ़ने की इच्छा जताई। गर्ग ने बताया कि इन लोगों को तीन समूहों में बांटा गया है। पहला समूह अशिक्षित लोगों, दूसरा समूह कक्षा पांचवीं तक पढ़े लोगों का और तीसरा समूह कक्षा आठवीं तक पढ़े लोगों का है।

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नक्सलवाद से तौबा करके पुलिस में शामिल हुए अमर पोटाई बताते इस बात से बहुत खुश हैं कि शिक्षित होने का उनका सपना साकार हो रहा है। बकौल पोटाई, ‘मैं अब पढ़-लिख सकता हूं। बस्तर करीब तीन दशक से नक्सलवाद से संघर्ष कर रहा है। इसके कारण मेरी तरह कई लोग अशिक्षित रह गए हैं।’

अब जहां शिक्षा और रोजगार होगा, वहां नक्सलवाद के लिए जगह कहां बचेगी। उम्मीद है बाकी बचे नक्सलियों भी कभी सच के इस उजाले की रोशनी पड़ेगी। फिर वो भी हथियार डाल कर मुख्यधारा की जिंदगी जिएंगे।