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जम्मू कश्मीर से आई खुशखबरी, घाटी में दो भटके हुए नौजवानों की घर वापसी

जम्मू कश्मीर के पुलवामा में दो युवा मुख्यधारा में लौट आए हैं।

जम्मू कश्मीर पुलिस भटके हुए नौजवानों को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। घाटी में सुरक्षाबलों का यह प्रयास रंग भी ला रहा है। दरअसल, घाटी में आतंकी संगठन किशोरों और युवाओं को बरगला कर उन्हें हिंसा के रास्ते पर ले जाते हैं। उन्हें झूठी कहानियां सुनाकर उन्हें बहकाते हैं और हिंसक बनाते हैं। इसे रोकने के लिए वहां सुरक्षाबल लगातार प्रयास करते रहते हैं ताकि युवाओं को भटकने से रोका जा सके और जो भटक गए हैं उन्हें वापस मुख्यधारा में लाया जा सके।

इसी क्रम में पुलिस की पहल पर पुलवामा के दो युवा अपने परिवार की मदद से मुख्यधारा में लौट आए हैं। सुरक्षा कारणों से इन युवाओं की पहचान को पुलिस ने उजागर नहीं किया है। दोनों युवा बहकावे में आकर आतंक के रास्ते पर जा रहे थे। पर पुलिस और परिवार वालों की कोशिश से ऐसा होने से रोका जा सका। पुलिस की ऐसी ही कोशिशों का नतीजा है कि इस साल मार्च में राज्य के 150 युवक भारतीय सेना में भर्ती हुए थे। श्रीनगर में परेड से पासआउट हुए इन युवाओं ने देश की सेवा करने का प्रण लिया था।

पुलवामा में कुछ दिन पहले ही हुए आतंकी हमले में 40 सीआरपीएफ जवानों की शहादत के बाद इन युवाओं ने देश सेवा के लिए सेना को चुना। दरअसल जुलाई, 2016 से पहले दक्षिण कश्मीर, उत्तर कश्मीर की तुलना में शांत माना जाता था। जबकि उत्तर कश्मीर को नियंत्रण रेखा पार कर आए सीमा पार के आतंकियों का गढ़ माना जाता था, जो बांदीपोरा, बारामुला और कुपवाड़ा के जंगलों में शरण लेते थे। हिज्बुल कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद 6 महीने तक पूरे कश्मीर प्रदर्शन का दौर चला।

हालांकि, सुरक्षा बलों ने स्थिति पर नियंत्रण पाने में सफलता भी हासिल की, लेकिन स्थानीय स्तर पर दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग, कुलगाम, शोपियां और पुलवामा जिले के युवाओं की आतंकवादी संगठनों में भर्ती में बढ़ोतरी हुई। उत्तर कश्मीर में हुए सुरक्षा बलों से मुठभेड़ों में अधिकतर मारे गए आतंकी सीमा पार से आए थे, जबकि दक्षिण कश्मीर में मारे गए आतंकी स्थानीय थे। बहरहाल, सुरक्षाबलों की कोशिशें जारी हैं। अब तक दर्जनों युवा आतंकवाद का रास्ता छोड़ अपने परिवार के पास लौट आए हैं। उम्मीद है कि आनेवाले दिनों में घाटी में हालात और बेहतर होंगे।

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