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नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा का जिम्मा अब होगा आरपीएफ के हाथ

नक्सल प्रभावित क्षेत्र में सुरक्षा कास जिम्मा रेलवे सुरक्षा बल के हाथ

नक्सली क्षेत्रों में विकास लाने के लिए हर स्तर पर काम किया जा रहा है। सड़क, स्कूल, अस्पताल इत्यादि के अलावा वहां रेलवे का भी पहुंचना उतना ही जरूरी है। इन इलाकों में रेल लाइनों का जाल बिछ जाने से ये बाकी क्षेत्रों से जुड़ सकेंगे। इन इलाकों में नक्सली इसलिए भी मजबूत होते हैं, क्योंकि ये देश के बाकी हिस्सों से कट कर रह जाते हैं। ये इलाके जब देश के बाकी हिस्सों से जुड़ने लगेंगे तो यहां से नक्सलियों के पांव धीरे-धीरे उखड़ने लगेंगे। यही वजह है कि नक्सली सड़क व रेलवे को इन क्षेत्रों तक नहीं पहुंचने देते हैं। नक्सलियों द्वारा सड़कों का निर्माण रोकने के साथ-साथ बनी हुई सड़कों को ब्लास्ट कर उड़ा देने की घटनाएं तो आए दिन होती ही रहती हैं।

साथ ही इन इलाकों से गुजरने वाली रेल-लाइनों को भी नक्सली उखाड़ देते हैं या उड़ा देते हैं। लेकिन इसके लिए अब रेलवे सुरक्षा बल (Railway Protection Force) ने नया तोड़ निकाला है। यह बल ऐसे क्षेत्रों में काम करने के लिए अब अपनी ताकत और बढ़ाएगी। नक्सल प्रभावित इलाकों की समस्याओं से लोहा लेने के लिए आरपीएफ (RPF) अब कमांडोज तैयार कर रही है। हरियाणा के जगाधरी में आरपीएफ कमांडो की ट्रेनिंग शुरू हो चुकी है। पिछले करीब 4 महीनों से यह ट्रेनिंग चल रही है। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद इन कमांडोज को अत्याधुनिक हथियारों से लैस किया जाएगा।

आरपीएफ की कोशिश है कि इस बल के पास पर्याप्त संख्या में कमांडोज रहें, जिससे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों जैसे संवेदनशील स्थानों पर सुरक्षा की विकट चुनौतियों से निपटा जा सके। आरपीएफ के महानिदेशक अरुण कुमार के अनुसार, ट्रेनिंग पूरी होने के बाद इन कमांडोज को नक्सल प्रभावित इलाकों सहित पूर्वोत्तर और जम्मू-कश्मीर जैसे हिस्सों में तैनात किया जाएगा। जहां रेलवे के नए बन रहे तमाम प्रोजेक्ट्स की सुरक्षा का जिम्मा इस विशेष सुरक्षा दस्ते पर होगा। इन कमांडोज को बुलेट प्रूफ जैकेट, एडवांस वेपन सहित हर वो हथियार और अन्य उपकरण मिलेंगे, जो जरूरी होते हैं। अरुण कुमार के मुताबिक, अधिक संख्या में कमांडोज होने से आरपीएफ की क्षमता और बढ़ेगी।

आरपीएफ एक्ट, 1957 के तहत रेलवे सुरक्षा बल का गठन हुआ था। यह एक पैरा मिलिट्री फोर्स है। यह बल सरकार, रेलवे विभाग, स्थानीय पुलिस और जनता के बीच एक सेतु का काम करता है। साथ ही अपराधियों की धर-पकड़ में स्थानीय पुलिस की भी मदद करता है। इसका मुख्य काम देश में रेल यात्रियों की सुरक्षा, भारतीय रेलवे की सम्पत्तियों की रक्षा और देश विरोधी गतिविधियों में रेलवे सुविधाओं के इस्तेमाल की निगरानी करना है।

दोषियों को गिरफ्तार करने, जांच पड़ताल करने और अपराधियों के खिलाफ केस चलाने का अधिकार इसके पास होता है। बाद में रेलवे एक्ट, 1989 के तहत रेलवे सुरक्षा बल को और ताकतवर बनाया गया। जिसके बाद से चेन पुलिंग, छतों पर यात्रा, अनधिकृत रूप से कोच में प्रवेश आदि पर कार्रवाई का अधिकार भी इस बल को दे दिया गया। अब इस फोर्स की बटालियन के तेजतर्रार जवानों को कमांडो के रूप में तैयार किया जा रहा है, ताकि नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा की स्थिति और बेहतर की जा सके।

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